अंजनी राय
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं बताने वाले 1994 के फैसले को पुन विचार के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से इंकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि इस ममाले को बड़ी बेंच के पास नहीं भेजा जाएगा। जस्टिस भूषण ने कहा कि इस्माइल फारुकी मामला इस मामले से अलग है।
सभी धर्मों और धार्मिक स्थलों की समान रूप से इज्जत करने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा है कि 29 अक्टूबर 2018 से अयोध्या मामले की सुनवाई होगी। धार्मिक भावनाओं के आधार पर नहीं बल्कि तथ्यों के आधार पर फैसला किया जाएगा। वहींजस्टिस नजीर का कहना है कि मैं साथी जजों की राय से सहमत नहीं हूं। व्यापक परीक्षण के बिना फैसला दिया गया है। उन्होंने बच्चियों के खतने पर न्यायालय के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मौजूदा मामले की सुनवाई बड़ी पीठ द्वारा की जानी चाहिए।
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