हरिशंकर सोनी
सुलतानपुर। 18 वर्ष पूर्व हुए महिला के अपहरण मामले में पुलिस की विवेचना रिपोर्ट अब तक कोर्ट नहीं पहुंच सकी है,जबकि पुलिस महकमें द्वारा भ्रामक आख्या पेश कर विवेचना रिपोर्ट तीन वर्ष पूर्व ही कोर्ट भेजने का दावा किया जा रहा है। मामले में एसीजेएम पंचम हरीश कुमार ने कड़ा रुख अपनाते हुए क्षेत्राधिकारी कार्यालय के तत्कालीन हेड पेशी व वर्तमान समय मे लंभुआ थाने में तैनात एसआई से जवाब-तलब किया है।
मामला कूरेभार थाना क्षेत्र के बरजी गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले देवमणि मिश्र ने 15 अक्टबूर वर्ष 2000 की घटना बताते हुए अपनी पत्नी राज लक्ष्मी का अपहरण कर लेने का आरोप प्रेमा देवी,हवलदार शुक्ल व रामदेव मिश्र के खिलाफ लगाया है। मामले में कई वर्षों तक मुकदमा ही नहीं दर्ज हुआ। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा तो 12 सितम्बर 2008 को आरोपियों के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज हुआ। सरसरी तौर पर मामले की तफ्तीश कर पुलिस ने दो बार फाइनल रिपोर्ट भी भेजी,जिसे अभियोगी देवमणि मिश्र ने कोर्ट में चुनौती दी। जिसके पश्चात विवेचना कर क्राइम ब्रांच सेल ने अपनी जांच रिपोर्ट संबंधित क्षेत्राधिकारी कार्यालय में भेजी आैर तत्पश्चात यह रिपोर्ट करीब तीन वर्ष पूर्व कोर्ट भी भेजने की बात कही जा रही है,पर अब तक पुलिस की यह रिपोर्ट कोर्ट ही नहीं पहुंची है। मामले में देवमणि मिश्र की तरफ से मानीटरिंग अर्जी भी पड़ी है। जिसमें सुनवाई के दौरान अभियोगी के अधिवक्ता ने पुलिस की लापरवाही के चलते कई वर्षों बाद भी पुलिस की जांच रिपोर्ट कोर्ट न पहुंचने का तथ्य पेश किया। जिस पर संज्ञान लेते हुए न्यायाधीश हरीश कुमार ने तत्कालीन हेड पेशी व लंभुआ थाने में तैनात वर्तमान उप निरीक्षक सच्चिदानंद पाठक के खिलाफ कड़ा पत्र जारी कर जवाब मांगा है।
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