आफताब फारुकी
इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज किये जाने से एक वर्ग ने इसको सहर्ष स्वीकार किया और उसने इसका स्वागत करते हुवे कहा कि बहुप्रतीक्षित मांग पूरी हो गई है। वही दूसरे तरफ कुछ लोग इसके विरोध में भी सामने आ रहे है। एक प्रातः कालीन अखबार में छपी खबर का हवाला अगर लिया जाए तो खबर के अनुसार इलाहाबाद हेरीटेज सोसायटी व संचारी संस्था नाम बदलने के विरोध में है। सरकार के निर्णय को गैर जरूरी बताते हुए दोनों संस्थाएं ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान चलाने के साथ प्रबुद्ध वर्ग से इस निर्णय के खिलाफ समर्थन मांग रही है।
इलाहाबाद हेरीटेज सोसायटी ‘चेंज ओआरजी’ नामक वेबसाइट पर निर्णय के खिलाफ लोगों से राय मांग रही है। वेबसाइट पर यह मुहिम 14 अक्टूबर को शुरू हुई। गुरुवार दोपहर तक 4089 लोगों ने इलाहाबाद के नाम को समर्थन दिया। यही नहीं संस्था शिक्षक, अधिवक्ता, छात्र, साहित्यकार, चिकित्सक जैसे वर्गो से संपर्क करके इलाहाबाद का नाम फिर रखने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाएगी। यह मुहिम दशहरा के बाद शुरू होगा।
यही नहीं, मुहिम को सार्थक करने के लिए संस्था इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है। वहीं संचारी संस्था के सदस्य जागरूकता अभियान चला रहे हैं। इसके साथ ही फेसबुक पेज पर भी लोगों से राय मांगी जा रही है।
इलाहाबाद से भावनात्मक जुड़ाव
इलाहाबाद हेरीटेज सोसायटी के अध्यक्ष अक्षत लाल श्रीवास्तव कहते हैं कि इलाहाबाद का नाम बदलना औचित्यहीन कदम है। यह नाम हमारी भावनाओं से जुड़ा है। इलाहाबाद ही हमारी पहचान है। इसे अल्लाह या भगवान से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। रही बात प्रयागराज की तो वह पहले से था। उन्होंने दावा किया कि हस्ताक्षर अभियान में हर वर्ग के लोगों का समर्थन मिल रहा है। एक माह बाद वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उसे उन्हें सौंपेंगे, जिससे वह निर्णय वापस लें। वहीं संचारी संस्था की संस्थापक सदस्य पल्लवी चंदेल कहती हैं कि इलाहाबाद का नाम बदलने से किसे क्या फायदा होगा? सरकार का यह निर्णय गलत है। उन्होंने इलाहाबाद का नाम बदलकर शहर की पहचान खत्म की है। जिसके खिलाफ हमारी मुहिम चल रही है।
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