आफताब फारुकी
इलाहाबाद:- राजकीय नारी संरक्षण गृह से बिना साक्ष्य संवासिनियों और बच्चों को उनके रिश्तेदारों को सौंपने के मामले में पूर्व अधीक्षक गीता राकेश को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इन संवासिनियों को इलाहाबाद से ही आगरा भेजा गया था। इलाहाबाद के अधिवक्ता सुनील चौधरी की शिकायत पर ही महिला समाज कल्याण विभाग लखनऊ ने जांच के बाद कार्रवाई शुरू की थी.
संगम नगरी में रेड लाइट एरिया बंद कराने के लिए सुनील चौधरी ने नौ महीने तक आंदोलन किया था। भूख हड़ताल के दौरान उन पर हमला तक किया गया था। देह व्यापार को बंद कराने की इस मुहिम को सुनील अब दिल्ली, मेरठ, मऊ, बस्ती आदि में चला रहे हैं। भावापुर करेली के रहने वाले वकील सुनील चौधरी ने रेड लाइट एरिया बंद कराने को वर्ष 2014 में चौक स्थित छुन्नन गुरु की प्रतिमा स्थल पर धरना शुरू किया। नौ माह तक लगातार वह धरना देते रहे। हस्ताक्षर अभियान चलाया। प्रदर्शन किया, तब लोग उन्हें पागल कहने लगे थे। जब पुलिस ने जबरन उनके आंदोलन को बंद कराया तो आठ सितंबर 2015 में उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
इसके बाद वह रैली लेकर मीरगंज गए तो दबंगों ने पथराव कर उन्हें खून से लथपथ कर दिया। जान से मारने की धमकी मिली तो करेली में केस दर्ज कराया। 13 जनवरी वर्ष 2016 को वे अदालत से लड़ाई जीते। हाईकोर्ट ने रेड लाइट एरिया को हटाने का आदेश दिया। सुनील के नेतृत्व में पुलिस ने एक मई 2016 को मीरगंज से 107 लड़कियों को मुक्त कराया। कोतवाली में मुकदमा और बयान दर्ज कर सभी को आगरा के नारी निकेतन भेज दिया गया था।
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