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टीकाकरण केंद्र गिराने वालों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश

अंजनी राय.

बैरिया : सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनबरसा के परिसर में बने जच्चा-बच्चा व टीकाकरण केन्द्र को बुलडोजर लगाकर तोड़ने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मामले में शनिवार को जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारौत ने सोनबरसा अस्पताल पहुचकर मौके का निरीक्षण किया।

अधीक्षक डॉ. विजय यादव से सवाल किया कि अस्पताल प्रांगण का हरा पेड़ कटता रहा और आप चुपचाप तमाशा देखते रहे। अधीक्षक से लिखित रूप में जवाब देने का निर्देश दिया। वहीं, जच्चा-बच्चा व टीकाकरण केन्द्र तोड़ने वालों को तत्काल मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी करने का आदेश दिया।

मौके पर मौजूद बैरिया के एसडीएम लालबाबू दूबे व तहसीलदार गुलाब चन्द्रा को साफ निर्देश दिया कि सोनबरसा अस्पताल प्रांगण की जमीन पर इस आशय का बोर्ड लगा दें कि जमीन अस्पताल की है। इसको जो भी खरीदेगा उसका जिम्मेदार वह स्वयं होगा। जिलाधिकारी ने साफ कहा कि इस तरह रातों-रात टीकाकरण केंद्र को गिराना और हरे पेड़ों की कटाई कराना अपराध है। ऐसे लोगों पर कार्रवाई जरूर होगी। अगर जमीन पर किसी का नाम दर्ज है तो जरूरी प्रक्रिया प्रक्रिया प्रक्रिया के तहत लेने की कार्यवाही कर सकता था।

सांसद भरत सिंह ने जिलाधिकारी से शिकायत की कि अस्पताल की यह जमीन बहुत पहले से है। लाखों रुपये लगाकर अस्पताल की बाउंड्रीवाल खड़ी की गई। कुछ दबंग व रसूखदार लोग इस भूमि पर कब्जा करने की नियत से हरे पेड़ो की कटाई व सरकारी भवनों को बुलडोजर से गिरवा दिए। इस कार्य में एक बड़े रसूखदार का संरक्षण भी मिल रहा है। सांसद ने कहा कि ऐसी कई जगहों पर अवैध कब्जा किया गया है। ऐसे लोगो पर एंटी भू माफिया के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए। सांसद ने बताया कि इसके लिए पीएम, सीएम व सम्बन्धित उच्चाधिकारियों से लिखित रूप में शिकायत किया है।

उधर, निरीक्षण करने के बाद जिलाधिकारी भवानी सिंह ने बताया कि अस्पताल की भूमि वर्षों से अस्पताल के कब्जे में है। इस भूमि पर कब्जा करने की नियत से सरकारी भवन को तोड़ने वालों की गिरफ्तारी का आदेश दिया गया है। वही अस्पताल के अधीक्षक को नोटिस देकर जबाब मांगा गया है। अधीक्षक को आदेशित किया गया है कि अस्पताल का नाम दर्ज कराने की जरूरी कार्यवाही सुनिश्चित कराएं। तहसीलदार को आदेश दिए कि जमीन पर बोर्ड लगवाएं कि कोई भी इस जमीन को खरीदेगा तो स्वयं जिम्मेदार होगा।

1950 से ही अस्पताल के कब्जे में हैं जमीन

निरीक्षण के दौरान तहसीलदार गुलाब चन्द्रा ने जिलाधिकारी को जानकारी दिया कि 1950 से ही जमीन सरकार के कब्जे में था। 1976 में किसी प्रकार से डुमरांव महाराज के दान पत्र के हिसाब से कुँवर सिंह ट्रस्ट का नाम चढ़ गया। इसके बाद भी जमीन अस्पताल के ही कब्जे में रहा है।

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