दिल्ली:-आज मुल्क के अन्दर जिस तरह से सीबीआई का विवाद चल रहा है उसको देख के मिर्ज़ा ग़ालिब का एक शेर याद आ रहा है। शायद ये शेर उस शब्द का उत्तर हो जिसमे हमारे प्रधानमंत्री लगातार 70 साल का हवाला देते रहते है. इन 70 सालो में पहली बार
सीबीआई खुद सीबीआई के सामने खिलाफत में खडी है और एक दुसरे पर ही छापेमारी कर रहे है. लाख कोशिशे बेकार जा चुकी है और किसी का कोई नतीजा नहीं निकला है. सीबीआई ने खुद सीबीआई पर छापेमारी कर डाली. यह स्थिति कही न कही सीबीआई की विश्वनीयता पर सवालिया निशान जैसा है साथ ही सरकार की किरकिरी भी हो रही वह अलग है
कोई उम्मीद बर नही आती,
कोई सूरत नज़र नहीं आती।
मौत का एक दिन मुअय्यन है,
नीद रात भर नही आती।
पहले आती थी हाले दिल पर हंसी,
अब किसी बात पर नही आती
सीबीआई का मामला जिस तरह से आपसी खींचतान में फंसता जा रहा है, उससे न सिर्फ जांच एजेंसी की विश्वसनीयता पर सवाल उठे रहे हैं, बल्कि सरकार के लिए भी अब स्थिति को संभालना बहुत कठिन लग रहा है। सोमवार को खुद पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार से जुड़े आला अफसर पूरे दिन मामले में बीच-बचाव करते रहे, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। डायरेक्टर अलोक वर्मा की पीएम से मुलाकात के एक घंटे बाद इस केस से जुड़े डीएसपी रैंक के अधिकारी देवेंद्र कुमार गिरफ्तार हो गए और उसके कुछ देर बाद तमाम अधिकारियों के ठिकानों पर सीबीआई ने छापे मारे।
देवेंद्र की गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने इस केस से जुड़ा पहला बयान भी जारी किया, जिसमें विस्तार से बताया गया कि उन्होंने किस तरह राकेश अस्थाना के कहने पर फर्जी सबूत तैयार किए थे। इसमें कहा गया कि देवेंद्र कुमार ने राकेश अस्थाना के कहने पर ऐसे लोगों के बयान दिल्ली में लेने का दावा किया, जो उस दिन यहां थे ही नहीं। सीबीआई ने राकेश अस्थाना और उनसे जुड़े अधिकारियों के फोन पर इस केस के संबंध में बात करने के सबूत भी होने का दावा किया है। दूसरी ओर, सीबीआई डायरेक्टर जिस तरह मामले को डील कर रहे हैं, उससे सरकार नाराज है। हालांकि सरकार खुद को राकेश अस्थाना के साथ भी नहीं दिखाना चाहती है।
राकेश अस्थाना ने कहा, केस में कोई सबूत नहीं :-
राकेश अस्थाना पूरे मामले में खुद को पूरी तरह सही बताते हुए दावा कर रहे हैं कि कोर्ट जाने पर उन्हें तुरंत राहत मिल जाएगी। उनपर दर्ज केस में कहीं भी उनके सीधे घूस लेने की बात नहीं की गई है। उनके खिलाफ दर्ज बयान ही केस का आधार है। पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात है कि जिसकी शिकायत पर राकेश अस्थाना फंसे हैं, उसी व्यक्ति पर उन्होंने सीबीआई डायरेक्टर को दो करोड़ रुपये घूस देने का आरोप लगाया था। इसकी शिकायत कैबिनेट सेक्रेटरी से की गई थी। राकेश अस्थाना का तर्क है कि उन्होंने केस दर्ज होने से पहले ही शिकायत की थी। वहीं, सीबीआई डायरेक्टर का कहना है कि जब राकेश अस्थाना को अंदाजा लग गया कि वह जांच एजेंसी के जाल में फंसने वाले हैं तो उन्होंने उनका नाम ले लिया।
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