आदिल अहमद
प्रख्यात अरब टीकाकार और रायुल यौम समाचारपत्र के प्रधान संपादक ने लिखा है कि सऊदी अरब जमाल ख़ाशुक़जी के मामले में अमरीकी राष्ट्रपति से सौदा करने के बाद अब उनकी हत्या की बात स्वीकार करने के लिए तैयार हो गया है लेकिन देखना यह है कि यह सौदा कितने का है और इस मामले में बलि किसे चढ़ाया जाएगा।
अब्दुल बारी अतवान ने अपने संपादकीय में लिखा है कि ट्रम्प ने यह कहा है कि ख़ाशुक़जी की हत्या कुछ उद्दंडी तत्वों ने की है और सऊद नरेश ने इस बारे में कुछ भी ज्ञान न होने की बात कही है, जिसका अर्थ यह है कि रियाज़ और वाॅशिंग्टन इस मामले में एक बलि के बकरे को तलाश कर रहे हैं और इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने के लिए सऊदी अरब, अमरीका व तुर्की के बीच समझौता हो गया है। उन्होंने कहा कि शाह सलमान ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं और इसमें कुछ सऊदी तत्वों के लिप्त होने की बात भी मान ली है, इस प्रकार वे अपने 13 दिन पहले वाले रुख़ से पीछे हट गए हैं जब वे इस मामले में अपने देश का हाथ होने से पूरी तरह इन्कार कर रहे थे। इससे पहले कहा गया था कि ख़ाशुक़जी, कोंसलेट के अंदर जाने के बीस मिनट बाद ही लौट गए थे।
अतवान ने रायुल यौम में प्रकाशित अपने संपादकीय में लिखा है कि सऊदी अरब के अपने पहले रुख़ से पीछे हटने का कारण वह आॅडियो फ़ाइल है जो तुर्क ख़ुफ़िया विभाग के पास है जिससे ख़ाशुक़जी को सऊदी कोन्सलेट के भीतर मारे जाने की पुष्टि होती है और संभावित रूप से उसकी एक काॅपी तुर्की ने सऊदी अरब और अमरीका को भेज दी है। संपादक ने आगे लिखा है कि शाह सलमान ने सही कहा है कि उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है क्योंकि इस समय सऊदी अरब का वास्तविक शासक मुहम्मद बिन सलमान है। केवल बिन सलमान ही देश के सुरक्षा कर्मियों से एेसा भयानक अपराध करवा सकते हैं और 15 सुरक्षा कर्मियों के साथ एक विशेष विमान तुर्की भेज सकते हैं ताकि एक सऊदी पत्रकार की हत्या की जाए। अब यह देखना यह है कि वास्तविक अपराधियों पर से आरोप हटाने के लिए किसे बलि का बकरा बनाया जाता है और इस केस को बंद कराने के लिए सऊदी कितनी रक़म अदा करता है?
अब्दुल बारी अतवान ने लिखा है कि इन सवालों का जवाब पाने के लिए लाकर्बी मामले और लीबिया के पूर्व तानाशाह मुअम्मर क़ज़्ज़ाफ़ी को बचाने के लिए होने वाले समझौते पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने लिखा है कि वे स्वयं लाकर्बी मामले में बलि का बकरा बनने वाले अब्दुल बासित मुक़रेही से मिले थे जो एक सुरक्षा अधिकारी था और उस पर अमरीकी विमान में बम रखने और 300 लोगों की हत्या का आरोप लगा था। अतवान लिखते हैं कि मैं उससे ग्लास्गो की एक जेल में जा कर मिला था और उसने कहा था कि वह कैंसर में ग्रस्त है और कुछ ही दिन का मेहमान है और इस स्थिति में उसने कहा था कि इस मामले में उसका कोई हाथ नहीं है। उसमें इतना साहस है कि मरने से पहले अपना अपराध स्वीकार कर लूं लेकिन लाकर्बी मामले में मेरा कोई हाथ नहीं है बल्कि मुझे दूसरों को बचाने के लिए बलि का बकरा बनाया गया है।
रायुल यौम के प्रधान संपादक ने लिखा है कि ट्रम्प केवल पैसे को मानते हैं और उन्हें मानवाधिकार इत्यादि की कोई परवाह नहीं है। सऊदी अरब को बिना नुक़सान पहुंचे इस संकट से बाहर निकालने के बदले में ट्रम्प कितनी रक़म लेंगे यह अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन यह रक़म निश्चित रूप से सैकड़ों अरब डाॅलर से अधिक होगी। निश्चित रूप से रियाज़ पहुंचने वाले अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के हाथ में एक बिल है जिस पर यह रक़म लिखी होगी।
निलोफर बानो डेस्क: आज समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधि मंडल दंगाग्रस्त संभल के दौरे पर…
ईदुल अमीन डेस्क: वफ़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 पर गठित संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) में…
माही अंसारी डेस्क: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से एकनाथ शिंदे ने इस्तीफ़ा दे दिया है।…
संजय ठाकुर डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के…
निसार शाहीन शाह जम्मू: जम्मू कश्मीर के कटरा में रोपवे लगाने को लेकर विरोध प्रदर्शन…
आदिल अहमद डेस्क: अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी ग्रुप पर भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देकर…