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अक़्ल खो देने वाले बिन सलमान क्या अब राजगद्दी भी खो देगें

आदिल अहमद

फ़्रांस के अख़बार लोमानीती ने अपने लेख में यह सवाल उठाते हुए हालात का जायज़ा लिया है।

अख़बार का कहना है कि इस समय यह सवाल हर मन में कौंध रहा है मगर इसका जवाब अब तक स्पष्ट नहीं है। विशेषकर इसलिए कि रियाज़ सरकार ने शीर्ष नेतृत्व को इस भयानक अपराध के आरोपों से बचाने की कोशिश में 18 लोगों को गिरफ़तार कर लिया है और उन्हें इस हत्या कांड में लिप्त तत्व घोषित किया है। कुछ अधिकारियों को ऊंचे पदों से हटाया भी गया है। इनमें रायल कोर्ट के सलाहकार और इंटैलीजेन्स के डिप्टी चीफ़ भी शामिल हैं।

सऊदी अरब ने 2 अकतूबर की आपराधिक घटना के बाद 17 दिन तक जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या में अपना कोई हाथ होने का इंकार किया मगर फिर उसकी समझ में आ गया कि इंकार करने से काम नहीं चलने वाला है। मजबूर होकर सऊदी सरकार ने जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या की बात औपचारिक रूप से स्वीकार की।

मगर कुछ हत्याएं एसी होती हैं जो हर प्रकार के अपराध से अधिक गंभीर होती हैं यह बड़ी राजनैतिक ग़लतियां हैं जो कभी कभी योजनाकारों को ही बुरी तरह फंसा देती हैं। मुहम्मद बिन सलमान ने इस हत्या का आदेश दिया हो या उनके क़रीबी सर्कल के लोगों ने यह आदेश दिया हो दोनों ही परिस्थितियों में बिन सलमान का फंसना तय है।

मुहम्मद बिन सलमान का अब अपने ऊपर क़ाबी नहीं रह गया है वह ज़मीनी सच्चाई से बिल्कुल अलग होकर आसमान में उड़ने लगे हैं अतः सऊदी अरब के आधुनिकीकरण का उनका सपना ध्वस्त हो चुका है वह भी एसे समय में जब सऊदी अरब को बड़े गंभीर आंतरिक और बाहरी संकटों का सामना है।

सऊदी अरब के भीतर भय और आतंक का वातावरण है जबकि सऊदी अरब के हार युद्ध की स्थिति है। इसी चीज़ ने ख़ाशुक़जी की हत्या को उनके ज़िंदा रहने से अधिक ख़तरनाक बना दिया। यह बात सामने आई है कि ख़ाशुक़जी को बड़ी बेदर्दी से मारा गया है जो सऊदी अरब को सरकशी और अत्याचार से दूर रहने की नसीहत करते रहते थे।

यह बात मीडिया में बड़े पैमाने पर कही जा रही है कि बिन सलमान इस मामले में कुछ लोगों को बलि का बकरा बनाकर ख़ुद बच जाने की कोशिश कर रहे हैं वह अपने बहुत क़रीबी लोगों अर्थात सऊद अलक़हतानी तथा अहमद अलअसीरी की क़ुरबानी देना चाहते हैं लेकिन राजनैतिक और प्रचारिक गलियारों का कहना है कि बिन सलमान की इस चाल को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा बल्कि यह साबित किया जाएगा कि सऊदी अरब झूठ और जालसाज़ी के पर्दे के पीछे छिपा हुआ है।

जर्मनी ने मांग की है कि यूरोपीय देश सऊदी अरब को हथियारों की सप्लाई बंद कर दें। जर्मन चांसलर ने एंगेला मर्केल ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में जर्मनी के लिए संभव ही नहीं है कि सऊदी अरब को हथियार निर्यात किया जाए। इससे पहले जर्मनी, फ़्रांस और ब्रिटेन ने संयुक्त बयान में जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या की कठोर निंदा की और सऊदी अधिकारियों से कहा कि वह ठोस साक्ष्य पेश करें जिससे यह साबित हो कि जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या के बारे में रियाज़ सरकार ने जो रिपोर्ट जारी की है वह सही है। यह पता चलना ज़रूरी है कि जमाल ख़ाशुक़जी की किन परिस्थितियों में हत्या की गई। मर्केल ने कहा कि जो कुछ हुआ वह सामने आना चाहिए और दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए। मर्केल ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में सऊदी अरब को हथियारों की सप्लाई नहीं की जा सकती।

इस्तांबूल में भी गतिविधियां तेज़ हैं। इस्तांबूल के एटर्नी जनरल की ओर से सऊदी काउंसलेट में काम करने वाले स्थानीय कर्मचारियों से पूछताछ शुरू कर दी गई है। 22 कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है जिनमें तुर्क और कुछ विदेशी कर्मचारी शामिल हैं।

वरिष्ठ पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या का मामला सऊदी अरब की सरकार के लिए किसी फांसी के फंदे से कम नहीं है। इस प्रकरण में आए दिन नया रहस्योदघाटन हो रहा है जिसके चलते यह घटना सुर्खियों में बनी हुई है। सूत्रों के हवाले से ताज़ा रिपोर्ट यह आई है कि जमाल ख़ाशुक़जी के शरीर के कई टुकड़े कर दिए गए और कम से कम एक टुकड़ा तुर्की से रियाज़ ले जाया गया है।

रियाज़ सरकार पर इतना भारी दबाव पड़ रहा है कि क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान को अपना भयानक अंजाम नज़र आने लगा है। यहां तक कहा जा रहा है कि सऊदी अरब के शीर्ष नेतृत्व पर अंतर्राष्ट्रीय अदालत में मुक़द्दमा चल सकता है। ख़बर है कि मुहम्मद बिन सलमान ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के दामाद जेयर्ड कुशनर से कहा कि पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने मुझे धोखा दिया है। मुहम्मद बिन सलमान को यह आशा थी कि वह पश्चिमी देशों से हथियार ख़रीद रहे हैं तो यह देश उनके अपराधों पर ख़ामोश रहेंगी। बिन सलमान को यह आशा अकारण नहीं थी। पश्चिमी देश यमन युद्ध पर ख़ामोश हैं और यदि कोई विरोधी स्वर उठता है तो वह बहुत कमज़ोर होता है। बिन सलमान को यह आशा थी कि ख़ाशुक़जी की हत्या का मामला एक आम ख़बर की तरह मीडिया में आकर समाप्त हो जाएगा मगर एसा नहीं हुआ। यह घटना दुनिया भर के मीडिया में छा गई है और सुर्खियों से हट नहीं रही है।

अब मुहम्मद बिन सलमान को यह अनुमान होने लगा है कि पश्चिमी सरकारों पर भरोसा करके उन्होंने बहुत बड़ी ग़लती की थी। उनका यह अनुमान ग़लत था कि यमन युद्ध पर ख़ामोश रहने वाली पश्चिमी सरकारें खाशुक़जी की हत्या का नोटिस नहीं लेंगी क्योंकि ख़ाशुक़जी तो सऊदी अरब के नागरिक हैं और उन्हें क़त्ल करने की योजना को सऊदी काउंसलेट के भीतर अंजाम दिया गया है।

बिन सलमान के लिए पद गवांने के बारे में सोचना भी अत्यंत पीड़ादायक है। मुहम्मद बिन सलमान ने राजगद्दी का रास्ता साफ़ करने के लिए बड़े प्रयास किए और बड़ी साज़िशें रचीं मगर उन्हें एसा लग रहा है कि धीरे धीरे उनके पांव के नीचे से राजगद्दी नहीं बल्कि ज़मीन भी खिसकने लगी है।

aftab farooqui

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