अनिला आज़मी
डेस्क। इंसान अपना बीमा केवल इसीलिये लेता है कि उसका और उसके परिवार का भविष्य सुरक्षित रहे। मगर जब वक्त के साथ इंशोरेंस कम्पनी भी आपके बुरे वक्त में धोखा दे दे तो इसको क्या कहेगे ? ऐसा ही हुआ इस साल 28 जून को त्रिपुरा में बच्चा चोरी की अफवाह में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार दिये गये जाहिद की पत्नी शमा परवीन ले साथ। उस मासूम की अभी इद्दत भी पूरी नहीं हुई हैं। सिर्फ 37 साल की कमसिन उम्र में ही बेवा हुई शमा अब अपनी किस्मत को रो रही होगी। 37 वर्षीय शमा परवीन अब तक ये नहीं समझ पाई हैं कि उनके शौहर को क्यों और कैसे मार दिया गया। अभी वो इस दर्दनाक सच्चाई को समझने की कोशश कर ही रही थीं कि अब उनपर एक और गहरा आघात हुआ है।
त्रिपुरा में भीड़ का शिकार हुए जाहिद के पास 2 बीघा जमीन थी। उत्तर प्रदेश सर्वहित किसान बीमा योजना के तहत किसान की दुर्घटनावश मौत या हत्या होने पर उसके परिजनों को 5 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है। जाहिद के परिवार ने भी इसी योजना के तहत आवेदन किया था, जिसके जवाब में जाहिद को अपराधी बता दिया गया है।
दिलचस्प बात ये है कि एफआईआर में इसका कोई जिक्र ही नहीं ही है। इस मामले में पुलिस ने एफआईआर अपनी तरफ से दर्ज की थी, जिसमें जाहिद को अपराधी नहीं लिखा गया है। जाहिद की हत्या की जांच कर रहे त्रिपुरा पुलिस के अधिकारी जुगल किशोर का कहना है, “यह एक एकदम गलत बात है। हमने जांच की है और 2 लोग गिरफ्तार हुए हैं। जाहिद यहां फेरी लगाने का काम करता था। उसके किसी अपराध में शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला है। बीमा कंपनी ने हमसे जानकारी मांगी थी और हमने उन्हें लिखकर भेजा था कि जाहिद अपराधी नही था।”
बता दें कि जाहिद के परिवार को हत्या के बाद कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है। यूपी सरकार की इस बीमा योजना के तहत परिवार के आवदेन पर स्थानीय तहसील से इसकी जांच हुई थी। सम्भलहेड़ा लेखपाल अमित कुमार द्वारा जांच के बाद दावा सही पाए जाने पर तहसीलदार ने इसकी संस्तुति की थी और पत्रावली बीमा कम्पनी को भेज दी गई थी।
जाहिद की मौत के चार महीने बाद जब उसकी बीवी की इद्दत के 15 दिन बचे हैं, तब यह चिट्ठी आई है। जाहिद की 68 साल की मां शमसीदा बानो कहती हैं, “मेरे बेटे के खिलाफ पूरे हिंदुस्तान के किसी भी थाने में कोई रिपोर्ट हो तो मुझे फांसी पर चढ़ा दो। मदद नही करनी थी तो बता देते, कलंक लगाने की क्या जरुरत थी।” वहीं उसके भाई जावेद का कहना है, “सरकार को हमारी मदद नहीं करनी है, ये बात समझ में आती है, लेकिन ये हमारे जख्मों पर नमक क्यों छिड़क रहे हैं। एक मर चुके आदमी पर लांछन क्यों लगा रहे हैं।”
जाहिद के गांव में इस चिट्ठी को लेकर जबरदस्त गुस्सा है। मुजफ्फरनगर के वकील राव लईक ने बीमा कंपनी के इस रवैये पर कहा, “यह निहायत ही शर्मनाक मामला है। तहसीलदार की जांच में जाहिद किसान साबित हुए हैं। उनके पास 2 बीघा (1/3 एकड़) जमीन है। उनके खिलाफ कहीं कोई आपराधिक मामला दर्ज नही है। बीमा कंपनी को इसका जवाब देना होग। हम उसे अदालत में घसीट लेंगे।” वहीं जाहिद के गांव के साबिर का कहना है कि बस उसका मजहब मुसलमान है, इसलिए ये सब हो रहा है।
इस मामले पर बीमा कंपनी के लोग जवाब देने से बच रहे हैं। गांव में आकर जांच करने वाले प्रेमचंद का कहना है कि उन्होंंने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी और ये सब अधिकारियो नें किया है। वहीं बीमा कंपनी के अधिकारी नरेश टांक भी इस बारे में पूछने पर टाल जाते हैं और वो कहते हैं, “मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, कुछ मामले बहुत बड़े स्तर पर तय किए जाते है।”
ओरियेंटल इंश्योरेंस कंपनी के देहरादून स्थित मुख्य ब्रांच के प्रबंधक मिलापचंद के मुताबिक बीमा कंपनी बेहद निष्पक्षता से अपना काम करती है। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत गंभीर प्रकृति की शिकायत है। बीमा कंपनी जांच-पड़ताल तो करती है, मगर बिना किसी आपराधिक इतिहास के वो किसी को अपराधी नहीं लिख सकती। उन्होंने कहा कि वे इसकी जांच करेंगे कि ऐसा क्यों किया गया।
बता दें कि ओरियेंटल इंश्योरेंस कंपनी की स्थापना 1947 में हुई थी और उत्तर प्रदेश सरकार इस पर काफी मेहरबान दिखाई देती है। सरकार ने इसी कंपनी को किसानों के फसल का बीमा देने की जिम्मेदारी दी हुई है। मुजफ्फरनगर के जिस बीमा अधिकारी मूलचंद ने जाहिद को अपराधी बताने वाला पत्र जारी किया है उनपर पहले भी सांप्रदायिक भेदभाव के आरोप किसान लगाते रहे हैं। हालांकि इस मामले में संपर्क करने पर वह बात नहीं कर रहे हैं।
इसी साल 28 जून को त्रिपुरा के सिधाई मोहनपुर में फेरी लगाकर सामान बेचने वाले जाहिद और उनके दो साथियों पर बच्चा चोरी की अफवाह में भीड़ ने हमला कर दिया था। पुलिस ने भीड़ से बचाने के लिए तीनों को थाने में छिपा लिया था। लेकिन भीड़ ने थाने में घुसकर उन पर हमला बोल दिया, जिसमें जाहिद की वहीं मौत हो गई थी।
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