फारुख हुसैन
पलियाकलां-खीरी। शहर के रामलीला मेला मैदान में चल रहे दशहरा मेला में स्वतन्त्रता सेनानी राष्ट्रीय कवि पंडित बंशीधर शुक्ल की स्मृति में देश के कई प्रदेशों से पहुंचे कवियों के कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रुप में दुधवा के डीडी महावीर कौजलगि मौजूद रहे जबकि अध्यक्षता बंशीधर के पुत्र सत्यधर शुक्ल ने की। सम्मेलन में हजारों की संख्सा में शहरवासियों की भीड़ उमड़ी।
लखीमपुर से आये हास्यरस के कवि फारूख सरल ने भी ‘‘हमरे भोल-भाले सईंयां पगलाई गए हो, राजा फेसबुक वाली पे रिझाई गए हो‘‘ कविता सुनाकर जनता की तालियां बटोरीं। वहीं जिला सीतापुर के शहर मिश्रिख से के कवि जगजीवन मिश्रा ने ‘‘प्यार मां जैसा हो वारि गंगा मिले, ना मिले लूट और न ही दंगा मिले‘‘ कविता का पाठ किया। फैजाबाद के विख्यात कवि जमुना प्रसाद उपाध्याय ने ‘‘नदी के घाट पर भी यदि सियासी लोग बस जाएं, तो प्यासे होंठ इक-इक बूंद पानी को तरस जाएं‘‘ कविता का पाठ कर जनता की वाहवाही लूटी।
सतना मध्य प्रदेश के मशहूर कवि अशोक सुन्दरानी ने ‘‘वही भारत मां की जय नहीं बोलते, जिनके मां-बाप का कोई ठिकाना नहीं होता‘‘ कविता का पाठ किया, जिसे सुनकर पूरे पाण्डाल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। सम्मेलन में बनारस की कवियत्री विभा सिंह, देवरिया के भूषण त्यागी, बाराबंकी के विकास सिंह बौखल ने भी काव्य पाठ के माध्यम से श्रोता/दर्शकों को पूरी रात जमे रहने पर मजबूर कर दिया। कवि सम्मेलन का सफल संचालन कवि अशोक सुन्दरानी ने किया। संयोजक की भूमिका कवि फारूख सरल ने निभाई। इस दौरान मेला कमेटी के अध्यक्ष विजय महेन्द्रा, मेहरचन्द्र अरोड़ा, राजेश भारतीय, बद्री विशाल गुप्ता, विपिन गुप्ता सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
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