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राजस्थान मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री बनवाने तक की रणनीति

अब्दुल रज़्ज़ाक थोई

जयपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेश जोशी और अश्क अली टाक को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खासमखास समझा जाता है। महेश जोशी जयपुर शहर लोकसभा सीट से सांसद और यहाँ की किशनपोल विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। अश्क अली टाक फतेहपुर से विधायक, राज्य सरकार में मन्त्री और राज्यसभा सांसद रहे हैं। दोनों ने ही छात्र राजनीति से अपना कदम सियासत की दहलीज पर रखा था। दोनों कांग्रेस के मंजे हुए नेता हैं। अश्क अली टाक फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से दावेदार हैं और 2008 का चुनाव वे किशनपोल से लङ चुके हैं। सियासी गलियारों की उच्च चौपालों पर चर्चा है कि गहलोत ने जयपुर को फतह करने के लिए अपने इन विश्वसनीय महारथियों को मैदान में उतार दिया है।

कांग्रेसी कार्यकर्ताओं एवं सियासी जानकारों का मानना है कि जयपुर शहर में महेश जोशी ही एक मात्र ऐसे राजनेता हैं, जो शहर की सभी सातों सीटों से आसानी से चुनाव जीत सकते हैं। चर्चा है कि उनकी नजर किशनपोल, हवा महल, विद्याधर नगर और सांगानेर विधानसभा सीटों पर है। लेकिन वे इस बात के भी हिमायती हैं कि जयपुर शहर में मुसलमानों को दो विधानसभा सीटें मिलनी चाहिए। उनकी सभी समाजों में अच्छी पकङ है तथा वे इस बार निश्चित तौर पर विधानसभा का चुनाव लङेंगे। ऐसी चर्चा उनके नजदीकी लोग करते हैं। अश्क अली टाक दावेदार तो अपनी पुरानी सीट फतेहपुर से हैं, जहाँ से 1985 में वे छोटी सी उम्र में विधायक बन कर मन्त्री बने थे। लेकिन स्थानीय स्तर पर उनका वहाँ बङे पैमाने पर विरोध भी हो रहा है। अब यह तो टिकट वितरण के बाद ही मालूम पङेगा कि टाक जयपुर की किसी सीट से चुनाव लड़ेंगे या फतेहपुर से। लेकिन यह चर्चा तेजी से सियासी गलियारों में घूम रही है कि गहलोत ने अपने इन दोनों भरोसेमंद नेताओं को जयपुर का मोर्चा फतह करने के लिए तैनात कर दिया है।

जयपुर के मोर्चे का मतलब जयपुर शहर की सीटों पर कांग्रेस को जीताना तो है ही, साथ ही राजस्थान फतह करना भी है। सियासी पण्डितों का मानना है कि कांग्रेस बहुमत में आएगी, तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? यह सवाल पिछले तीन साल से राजस्थान की सियासत का सबसे बङा मुद्दा बना हुआ है। सियासी परिस्थितियों और बदलते हुए हालात को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाएगी। इसके लिए चर्चा यह भी है कि पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं अशोक गहलोत, सी पी जोशी, गिरिजा व्यास, डाॅक्टर बी डी कल्ला, डाॅक्टर चन्द्रभान आदि को चुनाव नहीं लङवाएगी। ऐसी परिस्थितियों में गहलोत गुट एवं अन्य वरिष्ठ नेता कमजोर पङ जाएंगे। जिससे सचिन पायलट का मुख्यमंत्री बनना आसान हो जाएगा। इसलिए गहलोत गुट ने भविष्य में बनने वाली ऐसी परिस्थिति पर विजयी पाने के लिए अपनी तैयारी अभी से कर ली है। विधायक दल की बैठक में अशोक गहलोत के नाम की पैरवी करने के लिए उन्होंने अपने तमाम विश्वसनीय और मजबूत नेताओं को टिकट दिलवाने तथा उन्हें चुनाव जीतवाने के लिए हर सम्भव प्रयास तेज कर दिया है। प्रयास की इसी कङी में महेश जोशी और अश्क अली टाक को सबसे आगे किया गया है। इनके जरिये गहलोत जयपुर और पूरा राजस्थान दोनों फतह करने की रणनीति बना चुके हैं।

खबर है कि इन दोनों महारथियों को गहलोत जयपुर की किशनपोल और हवा महल सीटों से चुनाव लङवाना चाहते हैं। दोनों को जयपुर से चुनाव लङवाने के पीछे एक रणनीति यह भी बताई जा रही है कि इस वक्त डीसीसी अध्यक्ष प्रताप सिंह खाचरियावास के इर्द गिर्द जयपुर कांग्रेस का संगठन घूम रहा है तथा खाचरियावास को पायलट गुट का नेता माना जाता है। ऐसे में राजधानी में गहलोत गुट कमजोर होता जा रहा है। इसलिए गहलोत अपने इन दोनों महारथियों को शहर की सीटों से चुनाव लङवा कर राजधानी की राजनीति पर अपना दबदबा वापस स्थापित करेंगे। चर्चा तो यहाँ तक है कि किसी वजह से गहलोत मुख्यमंत्री नहीं बन पाए, तो वे हर हाल में अपने नजदीकी नेता को मुख्यमंत्री बनवाने का प्रयास करेंगे तथा वे राष्ट्रीय संगठन महासचिव हैं, इसलिए वो इस प्रयास में सफल भी हो जाएंगे। अगर अपने चहेते को मुख्यमंत्री नहीं बनवा पाए, तो उप मुख्यमंत्री जरूर बनवा देंगे। इस सन्दर्भ में भी महेश जोशी और अश्क अली टाक के नाम की चर्चा शुरू हो चुकी है।

सियासी जानकारों का मानना है कि राष्ट्रीय स्तर पर इस समय कांग्रेस से ब्राह्मण और मुस्लिम दोनों समुदाय नाराज चल रहे हैं। कांग्रेस इन दोनों समुदायों को खुश करने के लिए राजस्थान में इन समुदायों से सम्बंधित नेताओं को मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री बना कर नाराजगी दूर कर सकती है। इसलिए अगर अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तीसरी बार बैठने में सफल नहीं हुए, तो फिर वे मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री में से एक पद अपने विश्वसनीय साथी को ज़रूर दिलवाएंगे तथा सियासी गलियारों में वे विश्वसनीय साथी महेश जोशी और अश्क अली टाक बताए जा रहे हैं।

aftab farooqui

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