अनीला आज़मी
डेस्क। भाजपा की स्थिति ऐसी होती जा रही है कि कब उसका कौन नेता क्या बयान देकर सुर्खियों में आ जाये भरोसा नहीं रहा है। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के दाखिले पर लगे प्रतिबंध को लेकर बीते दिनों केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का बयान चर्चा में रहा था। उन्होंने मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि पूजा करने के अधिकार का यह मतलब नहीं है कि आपको अपवित्र करने का भी अधिकार प्राप्त है। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर को मंदिर में माहवारी आयु वर्ग (10 से 50 वर्ष) की महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था। सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ प्रदर्शनों के चलते महिलाओं को सबरीमला मंदिर में जाने से रोक दिया गया।
स्मृति ईरानी ने मुंबई में ब्रिटिश हाई कमीशन और आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित “यंग थिंकर्स” कान्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हिंदू धर्म को मानती हूं और मैंने एक पारसी व्यक्ति से शादी की। मैंने यह सुनिश्चित किया कि मेरे दोनों बच्चे पारसी धर्म को मानें, जो आतिश बेहराम जा सकते हैं।” आतिश बेहराम पारसियों का प्रार्थना स्थल होता है।
स्मृति ईरानी ने याद किया जब उनके बच्चे आतिश बेहराम के अंदर जाते थे तो उन्हें सड़क पर या कार में बैठना पड़ता था। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं अपने नवजात बेटे को आतिश बेहराम लेकर गई तो मैंने उसे मंदिर के द्वार पर अपने पति को सौंप दिया और बाहर इंतजार किया क्योंकि मुझे दूर रहने और वहां खड़े न रहने के लिए कहा गया।”
स्मृति ईरानी के महिलाओं के सैनेटरी पैड वाले इस बयान की सोशल मीडिया पर एक धड़े ने काफी आलोचना की। उन्हें ट्विटर पर ट्रोल किया। जिस पर स्मृति ईरानी ने जवाब के लिए इंस्टाग्राम का सहारा लिया। उन्होंने गुरुवार को इंस्टा पर एक तस्वीर पोस्ट करते हुए कैप्शन लिखा-हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है। दरअसल यह तस्वीर क्योंकि सास भी कभी बहू थी, टीवी सीरियल के एक दृश्य का था। जिसमें स्मृति ईरानी का रस्सियों से हाथ और पैर बंधा हुआ है. वह बोल न सकें, इसलिए मुंह को रुमाल से बांधा गया है। उनकी यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
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