तबजील अहमद / जीतेन्द्र कुमार
छिबरामऊ (कन्नौज)।
कनौज के छिबरामऊ में तब एक शिक्षामित्र को अपनी जान देनी पड़ी। जब शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों द्वारा वह प्रताड़ित हो रहा था। मामला है शिक्षामित्र पवन कुमार (31) पुत्र गोपीचन्द्र का। जो ग्राम- नगला कायस्थान नौली निवासी है।
सभी विभागों को देखते हुए अगर शिक्षा विभाग को देखा जाए, तो हम कह सकते है कि शिक्षा विभाग ही एक ऐसा विभाग है जहाँ भ्रष्टाचार नामक राक्षस कम सांस ले पाता है। लेकिन बीते कुछ दिनों पहले समायोजित शिक्षा मित्रों का समायोजन योगी सरकार द्वारा रद्द कर दिया गया। आपको बता दे कि लगभग 12-14 साल पहले शिक्षामित्रों को मेरिट के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त किया गया था। तब इनका मासिक वेतन मात्र 1800 सौ रुपये था। शिक्षामित्र के चयन में लगभग 1 लाख 47 हज़ार अभ्यर्थियों को नौकरी दी गयी थी। प्रदेश में जब समाजवादी पार्टी की सरकार के साथ अखिलेश यादव ने प्रदेश की कमान संभाली तो शिक्षा मित्रों की मेहनत को देखते हुए उन्हें 2 साल का प्रशिक्षण दिलवा सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत किया था।
वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द करने के कारण काफी शिक्षा मित्रों ने अवसाद में आकर आत्महत्या कर ली। लेकिन प्रदेश सरकार से सिर्फ सांत्वना ही मिलती रही। हाल ही में प्रदेश सरकार ने घोषणा कर शिक्षामित्रों को टीईटी (अध्यापक पात्रता परीक्षा) पास कर पुनः समायोजित होने को कहा।
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