तारिक आज़मी
वाराणसी. वाराणसी के आदमपुर थाना क्षेत्र के कज्जाकपूरा के पास आज गुटखा खरीदने के मामूली सी बात को लेकर बढे विवाद ने अचानक सांप्रदायिक रंग ले डाला और दोनों पक्षों के तरफ से हुवे जमकर पथराव में एक महिला सहित कुल 9 लोग चुटहिल हो गये.
घटना के सम्बन्ध में दोनों पक्षों का अलग अलग बयान है. एक पक्ष का कहना है कि दूसरा पक्ष ईरिक्शा से कही जा रहा था और थोडा धक्का लग गया जिससे विवाद बढ़ गया, वही दुसरे पक्ष का कहना है कि गाडी से जाते समय कतिपय ;लोगो ने उनके साथ मारपीट करके पैसे छीन लिये. वही गुपचुप हो रही सुगबुगाहट जो बयान करती है वह इस विवाद पर समाज को विचार करने की ज़रूरत पर ध्यानाकर्षण करवाती है. इलाके की सुगबुगाहट की माने तो हाजी हिमाकत क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति है. उनका पोता किसी कार्य से ऑटो रिक्शा के द्वारा कही से कज्जाकपूरा आया. कज्जाकपूरा उतरने के बाद भाड़े का पैसा देने को लेकर दोनों के बीच कुछ विवाद हो गया. विवाद बढे इसके पहले ही ऑटो वाला मौके से चला गया. पास की पान के दूकान पर उक्त युवक गुटखा लेने के लिये गया. गुटखा लेने की बात पर उसका वहा आये एक युवक से दुबारा विवाद हुआ जो मार-पीट में तब्दील हो गया. मारपीट होती देख आस पास के एक दो लोगो ने और भी हाथ साफ़ कर लिया.
स्थिति की जानकारी थाना प्रभारी आदमपुर राजीव सिंह को मिलते के साथ ही उन्होंने मौके पर मोर्चा संभाला और केवल एक एसआई और तीन कांस्टेबल के साथ ही मौके पर जुटी सैकड़ो की भीड़ को नियंत्रित करने के लिये खुद घुस गये. भीड़ को काफी हद तक नियंत्रित भी कर लिया गया था. मगर इस दौरान दोनों तरह के कुछ शरारती तत्वों ने इधर उधर काफी पथराव छुटपुट करना शुरू कर दिया था, एक तरफ नियंत्रित करने के दौरान दुसरे तरफ होने वाले पथराव की सुचना पर उधर भागना फिर अन्य स्थान पर सुचना पर दौड़ कर जाना. वास्तव में पुलिस की जुझारू कार्य प्रणाली को प्रदर्शित करने के लिये काफी है.
विवाद की सुचना पर मौके पर पहुचे क्षेत्राधिकारी बृजनंदन राय ने भी अकेले दम पर स्थिति को नियंत्रित करने का काफी प्रयास किया. सडको पर स्थिति को नियंत्रित करने के लिये लगभग दौड़ते हुवे हर लम्हे दिखाई दे रहे थे, उपद्रवी तत्वों को नियंत्रण में लेने के लिये फ़ोर्स की कमी भले ही मौके पर खल रही थी मगर थाना प्रभारी आदमपुर राजीव सिंह और क्षेत्राधिकारी शहर बृजनंदन राय ने अपना भरसक प्रयास किया और स्थिति को नियंत्रित भी किया. इसी बीच नगर मजिस्ट्रेट भी मौके पर पहुच चुके थे और खुद की चिंता छोड़ दोनों अधिकारी एक साथ उपद्रवी तत्वों को नियंत्रित करने में भाग दौड़ करते दिखाई दे रहे थे.
घटना की सुचना पर मौके पर जिलाधिकारी, उप पुलिस महानिदेशक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एक पुलिस अधीक्षक (नगर) भारी संख्या में पुलिस बल के साथ पहुचे. घटना के मद्देनज़र पुलिस लाइन से फ़ोर्स मौके पर बुलवा लिया गया था, आस पास के जनपद से पुलिस टीम को हाई अलर्ट पर रखा गया था. मौके पर खुद इन अधिकारियो ने एक एक गली एक एक कुचो में जाकर राउंडअप किया और भीड़ को खदेड़ा.
पुलिस टीम के प्रयास से मामूली बात पर बढे विवाद के बाद अब स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है. क्षेत्र में भारी मात्रा में पुलिस फ़ोर्स तैनात कर दिया गया है. चप्पे चप्पे पर शरारती तत्वों पर निगरानी हेतु प्रशासन की निगाहें चौकन्ना है. क्षेत्र में घनघोर सन्नाटा है.
समाज को है सोचने की ज़रूरत.
आदमपुर थाना क्षेत्र में इस प्रकार से मामूली बात पर इतना बतंगड़ बनाना कोई पहली बार नहीं हुआ है. इस क्षेत्र में पिछले एक साल में यह तीसरी घटना है जहा मामूली बात पर मामले ने तुल पकड़ा है. समाज किस तरफ जा रहा है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहली घटना में दो रिक्शे वालो के बीच हुवे विवाद ने तुल पकड़ लिया था. मामले में दो पक्ष के तौर पर लोगो ने देखना शुरू कर दिया था जबकि दोनों रिक्शे वाले लड़ाई करके अपने अपने रस्ते जा चुके थे. तत्कालीन क्षेत्राधिकारी शहर और आदमपुर थाना प्रभारी अजीत मिश्रा ने मामले को सहजता के साथ हल किया था. दुसरे मामले में दो पडोसी आपस में भीड़ गये थे इस मामले को भी काफी तुल दिया गया और आज इस मामूली बात ने कुछ अधिक ही तूल पकड़ लिया.
अब आप बताये, क्या दो रिक्शे वाले आपस में अगर लड़ जाते है तो वह सांप्रदायिक होते है. आप हिन्दू हो या मुसलमान रिक्शे वाले को देख कर उसके नाम पते से उसको आवाज़ नहीं देते, न ही धर्म बोधक शब्दों का प्रयोग करते है. अगर सम्मान के साथ आवाज़ देते है तो रिक्शे वाले कहते है ये रिक्शा कहते है. थोडा झुंझला कर बनारसी भाषा शैली का प्रयोग करते है तो अबे रिक्शा चलबे बाबु कहते है. वो किसी धर्म या सम्प्रदाय का तो नहीं होता है फिर इस मामूली बात पर तुल देने की क्या ज़रूरत है और कौन दे बैठा तुल इसको.
इसके बाद आप दूसरी घटना पर गौर करेगे और उसकी वर्त्तमान स्थिति बतायेगे तो आपको हंसी भी छुट पड़ेगी. दो पडोसी नॅशनल इंटर कालेज के पीछे लड़ बैठे. इत्तिफाक से दोनों का धर्म अलग था. दोनों ने जूता लात चलाया. दोनों तरफ से लोग घायल हुवे. दोनों तरफ से मुकदमा लिखा गया. मामले को खूब तुल देने का प्रयास हुआ मगर शहर को शुक्रगुज़ार होना चाहिये क्षेत्राधिकारी बृजनंदन राय का और थाना प्रभारी राजीव सिंह का. मामले को तुल देने का प्रयास बुरी तरह विफल रहा. आज की स्थिति आपको अब बताता हु कि उस मामले में क्या हुआ. आज वो दोनों आपस में झगडा करने वाले पक्ष एक हो चुके है. एक साथ अक्सर पीलीकोठी पर चाय पीने बैठे देखे जा सकते है. दोनों के बीच आपसी समझौता भी हो गया. यही नहीं साहब और आपको थोडा बता देते है कि इस मामले में लबड लबड करने वाले दोनों तरफ के लोगो को पता भी नही था और दोनों पडोसी अब फिर पडोसी हो चुके है. लो अब करवा लो झगडा, बढ़ा लो बात को. कमाल करते है लोग साहब.
अब इस प्रकरण को ले लीजिये. खूब जमकर लडे है दोनों पक्ष. खूब पथराव हुआ. सडको पर अजीब स्थिति पैदा हो चुकी थी. वही समाज के सभ्य कोई भी नागरिक आते और झगडे की शुरुआत जहा हुई उसी जगह दोनों को चार डांट सुनाते और मौके से दोनों को हटा देते तो क्या इतना विवाद बढ़ पाया होता. शायद नहीं, जी सही समझे शायद क्या एकदम नहीं. बहुत समय नहीं लगेगा बस दो चार दिन और यही लड़के जो आज आपस में भीड़ गये थे वही लड़के फिर दुबारा एक साथ बैठ कर आपस में हंसी मजाक करते नज़र आयेगे. फिर भी मामले को इतना तुल दे दिया गया. एक अराजकता की स्थिति काफी देर तक बनी हुई थी.
खैर साहब निष्कर्ष आप खुद निकाले, आज पुलिस की भूमिका सराहनीय रही. विशेष रूप से थाना प्रभारी आदमपुर राजीव सिंह और उनके सभी चौकी इंचार्ज, हर एक कांस्टेबल, सडको पर सिर्फ आधे घंटे में ही लगभग नहीं नही करके 5-7 किलोमीटर दौड़ लगा कर स्थिति को नियंत्रित करने वाले क्षेत्राधिकारी ब्रिजनंदन राय और नगर मजिस्ट्रेट. स्थिति को पूर्णतः निष्पक्षता के साथ नियंत्रित करने वाले उच्चाधिकारियों की भूमिका सराहनीय रही.
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