तारिक आज़मी
वाराणसी। वैसे तो आज के प्रकरण में प्रशासन ने बहुत सूझ बुझ से काम लिया और मौके से भीड़ को लेकर थाना चौक चले आये। इस मामले में क्षेत्राधिकारी दशाश्वमेघ अभिनव यादव, चौक थाना प्रभारी वेद प्रकाश राय, थाना प्रभारी दशाश्वमेघ और चौक थाने में तैनात एसआई जमालुद्दीन खान, एसएसआई चन्द्र प्रकाश कश्यप, एसआई नंदू यादव के साथ चौक और दशाश्वमेघ की पुलिस द्वारा स्थिति को बखूबी नियंत्रण कर लिया गया। इस कार्य हेतु उनकी प्रशंसा अवश्य होनी चाहिए.
मगर समाज के सजग प्रहरी, और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकारों ने भी स्थिति को नियंत्रित करने के लिये अपना विशेष योगदान दिया गया। शायद यही कारण है कि पत्रकारों को समाज का सजग प्रहरी माना गया है। इसी सजगता का परिचय आज पत्रकारों ने इस प्रकरण में भी दिया। मामला तो और भी तुल पकड़ सकता था अगर समाज के इन सजग प्रहरियो के द्वारा अपने समाज के लिए कर्तव्यों का निर्वाहन बखूबी न किया गया होता तो स्थिति और बिगड़ सकती थी।
मामला कुछ इस तरह हुआ कि देर रात 10-10:30 के बाद ही इस घटना के सम्बन्ध में समाचार प्राप्त होने लगे। पत्रकार जो जहा था इतने बड़े समाचार के कवरेज हेतु निकल चूका था। इसी दौरान सभी पत्रकार सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहे और व्हाट्सअप ग्रुप पर नज़रे अपनी बरक़रार रखे रहे। किसी भी प्रकार की इस सम्बन्ध में अफ्वाह्जनक पोस्ट आने के तत्काल बाद ही उस ग्रुप में जुड़े पत्रकार उस पोस्ट का जवाब देते और अफवाहों को वही विराम दे देते। यह सिलसिला लगातार देर रात तक चलता रहा।
इस प्रकार अफवाहों को विराम देने का काम करीब करीब सभी पत्रकार कर रहे थे और व्हाट्सअप ग्रुप और पोस्ट पर लगातार नज़र बनाये हुवे थे। आज एक बार काशी के पत्रकारों ने फिर साबित किया कि वह समाज के सजग प्रहरी ऐसे ही नही कहे जाते है बल्कि समाज के लिये अपने दायित्वों की पूर्ति भी करते रहते है।
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