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“करबला मे सोने वालो माहापारों अलवेदा” हो रहा है हम से रुखसत माहे ग़म माहे अज़ा

 

तारिक खान 

प्रयागराज जनपद में दो माह और आठ दिनों से करबला के बहत्तर शहीदों के ग़म मे शुरु हुए अय्यामे अज़ा के आखिरी दिन जहां रानी मण्डी से चुप ताज़िये का जुलूस निकाला गया वहीं दरियाबाद से भी शहर की दर्जनों मातमी अन्जुमनों ने नौहा और मातम के साथ अमारी जुलूस निकाल कर हुसैने मज़लूम को अलवेदा कहा।माहे मुहर्रम के चाँद के दीदार के साथ घरों इमामबारगाहों और अज़ाखानों मे सजाए गए अलम, ताबूत,ताज़िया,मासूम अली असग़र का झूला,तुरबत पर चढा़ए गए फूलों को नम आँखो से सुपुर्देखाक कर माहे ग़म माहे अज़ा को अलवेदा कहा।प्रातः 9 बजे रानी मण्डी स्थित इमामबाड़ा मिर्ज़ा नक़ी बेग मे ज़ाकिरे अहलेबैत रज़ा अब्बास ज़ैदी ने शहादते इमाम हसन अस्करी पर ग़मगीन मसाएब पढ़े उसके बाद अन्जुमन हैदरया के नौहा ख्वान हसन व शमशाद ने क़दीमी नौहा जब हो के रेहा क़ैद से घर जाएगी ज़ैनब- घबराएगी ज़ैनब पढ़ते हुए रानी मण्डी,बच्चा जी धर्मशाला,कोतवाली,नखास कोहना,खुलदाबाद,हिम्मतगंज से होते हुए करबला पर पहोंच कर या हुसैन अलवेदा की सदा बुलन्द करते हुए जुलूस को समपन्न कराया।जुलूस के रासते जहां हज़ारों अक़िदतमन्द साथ साथ मातम करते चले वहीं बड़ी संख्या मे महिलाओं ने भी आँसूओं का नज़राना पेश करते हुसैने मज़लूम को अलवेदा कहा।अक़िदतमन्दों ने रासतेभर ताबूत,अलम व चुप ताज़िये पर अक़िदत के फूल चढ़ा कर मन्नत व मुरादें मांगीं।जुलूस बशीर हुसैन की सरपरसती मे निकाला गया।इसी तरह दूसरा बड़ा जुलूस दरियाबाद इमामबाड़ा अरब अली खाँ से दोपहर मे निकला जिसमे शहर की मातमी अन्जुमन शब्बीरीया,मज़लूमिया,ग़ुन्चा ए क़ासिमया,हुसैनिया व अन्जुमन हाशिमिया ने अपने अपने परचम (अलम हज़रत अब्बास)के साथ ग़मगीन नौहा पढ़ते हुए अपने परमपरागत मार्गों से होते हुए पीपल चौराहा ,हज़रत अब्बास रोड,पठनवल्ली के रासते देर रात पूनाः इमामबाड़ा अरब अली खाँ पर पहोंचे।जहाँ अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के नौहा ख्वानों ने मरहूम शायर काविश इलाहाबादी का लिखा ग़मगीन नौहा “करबला मे सोने वालों माहापारों अलवेदा”
हो रहा है हम से रुखसत माहे ग़म माहे अज़ा”
“ऐ अज़ादाराने मौला तुम पुकारो अलवेदा” कह कर अय्यामे अज़ा को अलवेदा कहा।अन्जुमन के मातमदारों ने “सद अलवेदा हुसैना- वा हज़रता हुसैना” की सदा बुलन्द करते हुए हज़रत अब्बास के अलम मुबारक से लिपट कर गिरया ओ ज़ारी करते हुए माहे ग़म माहे अज़ा को अलवेदा कहा।जुलूस मे मौलाना रज़ी हैदर,मौलाना जव्वाद हैदर जव्वादी,सै०मो०अस्करी, रिज़वान जव्वादी,मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन,ज़ैग़म अब्बास,नजमुल हुसैन,आसिफ रिज़वी,अमन जायसी,ब्बबू भाई,मंज़र कर्रार,आग़ा मो०क़ैसर,कौसर अस्करी,परवेज़ अख्तर,मिर्ज़ा काज़िम अली,मसूद आब्दी,मक़सूद रिज़वी सहित अन्य हज़ारों अक़िदतमन्द शामिल थे।…………………………………….तारिक़ खान

aftab farooqui

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