आफ़ताब फ़ारूक़ी
प्रयागराज। रिसर्च मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं। एक बेसिक रिसर्च, दूसरा एप्लाइड रिसर्च। रिसर्च के लिए फण्ड एवं समय का प्रतिबन्ध अनुसंधान की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
उक्त बातें प्रशिक्षण के दूसरे सत्र में मुख्य वक्ता डी.एन झा, साइंटिस्ट आई.सी.ए.आर.आई-सी.आई.एफ.आई. प्रयागराज ने रिसर्च मेथोडोलाॅजी एण्ड स्टैटिस्टिक्स ने ईश्वर शरण पीजी काॅलेज, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पण्डित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन आॅन टीचर्स एण्ड टीचिंग के तहत फैकल्टी डेवलपमेंट प्रशिक्षण कार्यक्रम में मंगलवार को कही।
उन्होंने बताया कि एटम बम बनाने की अवधारणा (आइवनहावर) ने गीता के दो श्लोक जिसमें कृष्ण के सहस्त्रनाम व काल (मैं समय हूँ) की बात की गई थी, से ली। एक अच्छे रिसर्चर के लिए आवश्यक है कि वह फाइव डब्ल्यू का उत्तर देने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
इस अवसर पर प्रशिक्षण के छठे दिन प्रथम सत्र में प्रशिक्षणार्थियों ने अपने-अपने विषय का पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन दिया। प्रशिक्षण सत्र के दौरान कार्यक्रम समन्वयक डा.धीरज कुमार चैधरी एवं सह समन्वयक डा.आनन्द सिंह, केन्द्र सह संयोजक डा.मनोज कुमार दुबे तथा प्रतिभागियों में डा.प्रमोद सिंह, डा.अखिलेश पाल, डा.प्रताप श्रीवास्तव, डा.हर्षमणि सिंह, डा. शैलेजा राय आदि उपस्थित रहे।
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