सरताज खान
गाजियाबाद। लोनी नगर पालिका परिषद का नाम जिस तरह प्रदेश की सबसे बड़ी पालिका के रूप में अंकित हैं, लगता है यहां घोटाले भी उसी के अनुरूप हो रहे हैं। माना कि जहां क्षेत्र में विकास कार्यो ने गति पकड़ी है जिन्हें नकारा भी नहीं जा सकता। मगर उक्त विकास कार्यों की आड में कुछ पावरफुल पर्सनैलिटी की मनमानी के चलते यहा हो रहे भ्रष्टाचार की अनदेखी भी नहीं की जा सकती। जिसकी सुगबुगाहट ने उस समय जोर पकड़ लिया जब इस संदर्भ में यहां के सभासद अध्यक्ष पति ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए नगर पालिका के अनेक काले चिट्ठो का पर्दाफाश कर दिया।
उन्होंने विभाग पर आरोप लगाते हुए बताया कि नगर पालिका अधिशासी अधिकारी महोदय के समक्ष 5 जनवरी 2018 में हुई बोर्ड की प्रथम मीटिंग के दौरान मंडी का सभापुर में स्थानांतरण करने व सभी सभासदों के नाम के दिशा निर्देशित बोर्ड लगवाए जाने के अलावा यह भी पारित किया गया था कि क्षेत्र में होने वाले निर्माण कार्यों में प्रयोग होने वाली सामग्री व उनकी गुणवत्ता के बारे में उन्हें अवगत कराया जाएगा। मगर इसके बाद मात्र बजट पेश की सूचना पर 27 मार्च के दिन हुई बोर्ड मीटिंग में तमाम टेंडर जैसे दवाई, सफाई, मुर्दा मवेशी, विज्ञापन व कार पार्किंग (जो अप्रैल में शुरू किए गए) मामले में किसी भी सभासद को विश्वास में नहीं लिया गया। यही नहीं मांगने के बावजूद पूर्व की भांति बजट पास की प्रति भी उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई।
इसके अलावा 30 अप्रैल तक हुए समस्त निर्माण कार्यों की शिकायत स्वयं इओ महोदया शालिनी गुप्ता ने अपने स्तर पर शासन से की थी, जिसका आजतक कोई जवाब नहीं। तत्पश्चात 9 सितंबर में इओ महोदया के साथ हुई मीटिंग के दौरान सभासदों द्वारा उनसे बीते 6 माह की जानकारी मांगे जाने पर उन्होंने इसके प्रति अपना विरोध प्रकट किया, मामले में सभासदों द्वारा दबाव बनाए जाने पर उन्होंने इसके लिए 3 दिन का समय मांगा था। हालांकि बाद में अपनी बात से मुकरते हुए उन्होंने आरटीआई के माध्यम से जानकारी लेने की बात कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया था।
उपरोक्त के अलावा सदन की एक मीटिंग के दौरान नगरपालिका अध्यक्षा श्रीमती रंजीता धामा को दी गई 15 लाख रुपए की वित्तीय पावर को समाप्त करने की मांग की गई थी। इस दौरान वहां उपस्थित 46 सभासदों में से 39 ने इस पक्ष में अपनी सहमति भी जता दी थी। बावजूद 22 सितंबर में होने वाली बैठक में उक्त निर्णय की अनदेखी कर पुन: बहुमत शिद्ध करने की बात कही गई। जो मात्र उनकी अनियमितताओं वाली बात थी। जिसके विरोध में मजबूर होकर बोर्ड का बहिष्कार कर सभी सदन से बाहर आ गए थे।
उक्त मामले को लेकर अगले दिन नगर पालिका चेयरमैन महोदया द्वारा अपने कार्यालय पर बुलाए गए कुछ बसपा सभासदों के अलावा 15 सपा सभासदों के साथ खरीद-फरोख्त करते हुए उन्होंने उन्हें अपने पक्ष में कर लिया था जो कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार को उजागर करता है।
यह भी जाने-
सभासद अध्यक्ष ने भ्रष्टाचार के एक और गंभीर प्रकरण का खुलासा करते हुए बताया कि क्षेत्र में करोड़ों रुपए की लागत से बनने वाले ऐसे शौचालय हैं जिन्हें मात्र कागजों में अंकित कर दिया गया जबकि वह चालू भी नहीं हुए हैं। इसके अलावा टेक्निकल जांच समिति गठित किए बिना किसी ही पंजीकृत ठेकेदार का बार-बार भुगतान होना भी भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से मांगा जवाब
सभासद अध्यक्ष पति ने उपरोक्त के अलावा भी विभाग द्वारा अनेक अनियमितताएं बरते जाने का दावा करते हुए कहा है कि कोई भी अधिकारी या प्रतिनिधि उनके द्वारा किए गए खुलासे के संदर्भ में जानकारी देकर उनका जवाब दें।
मशवरे के साथ दी चेतावनी
उक्त गंभीर प्रकरण के मामले मे बंसल ने विभाग को चेताते हुए कहा है कि वह अबतक की कार्यप्रणाली में किसी परिवर्तन की आशा के साथ कुछ दिनों तक इंतजार करते हैं। वरना इसके बाद वह कोई दूसरा न्यायिक कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे। साथ ही उन्होंने विभाग के संबंधित अधिकारियों को यह भी मशवरा दिया है की नगर पालिका द्वारा विभिन्न विकास कार्यों के लिए किए जाने वाले टेंडर (जो निकट भविष्य में ही होने वाले हैं) मामले में अध्यक्षया महोदय को समस्त बोर्ड व सभासदों को विश्वास में लिया जाना अति आवश्यक है।
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