कमलेश कुमार
अदरी (मऊ) इस वर्ष काफी कम वर्षा होने से जहां धान की अधिकतर फसल काफी खराब हो गई है। वहीं पैदावार भी काफी कम हुई है। इसको लेकर किसान काफी चिंतित हैं। वहीं बची खुची फसलों को किसान किसी तरह अपने घर ले जाने के लिए अपने-अपने खेतो में युद्ध स्तर पर काम में लगे हुए हैं। किसान मजदूरों से धान कटवाने के लिए दौड़ लगा रहे हैं। मशीनों से कटवाने के लिए एक साथ कटाई शुरू होने से किसानों के पसीने छूट रहे हैं। धान की बालियों में आधे से अधिक में दाने तक नहीं हैं।
शिवकुमार, हरिनरायन, विजय आदि किसानों ने कहा कि कभी भी हम किसानों का परेशानियों व दिक्कतों से पीछा छूटने वाला नहीं है। इस बार नहरों ने ऐसा धोखा दिया कि धान की नर्सरी से लेकर अंत तक पानी की एक बूंद तक नहीं आई, जिससे नहरों के किनारे भी किसानों को महंगा पानी खरीद कर खेतों की सिचाई करना मजबूरी हो गया था। जिससे इस बार धान की लागत निकाल पाना भी काफी मुश्किल होगा।
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