आफताब फारुकी/शाहरुख़ खान
डेस्क (बांदा)। अन्नदाता जब खुद की समस्याओ के लिये धरना प्रदर्शन पर बाध्य हो जाए तो समझना चाहिए कि समस्या गंभीर है। मगर फिर भी अन्नदाता पिछले 24 घंटो से धरने पर बैठे है मगर उनका पुरसाहाल कोई न हो तो स्थिति को आप भली भाति समझ सकते है।
हालांकि, देर शाम कुछ विद्युत कर्मचारियों के अनुरोध पर ताला खोल दिया गया, लेकिन रात भर धरना जारी रहा। अमारा गांव के युवा किसान उदयवीर सिंह ने बताया, “उसने करीब दस लाख रुपये खर्च कर निजी नलकूप लगवाया है, जिसका लो वोल्टेज की वजह से दो बार मोटर फूंक चुका है। बिजली 20 घंटे के बजाय सिर्फ चार घंटे उपलब्ध रहती है, उसमें भी लो वोल्टेज से पानी नहीं उठ पाता। बिजली की किल्लत से आस-पास के एक दर्जन गांवों के किसानों के हजारों बीघा खेतों में पलेवा नहीं हो पा रहा है, जिससे रबी के फसल की बुआई पिछड़ गई है।”
उसने बताया कि सभी किसानों ने छह नवंबर को जिलाधिकारी से मिलकर इसके निस्तारण की मांग की थी, लेकिन वह वादाखिलाफी कर लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। उपजिलाधिकारी पैलानी भी छुट्टी पर हैं और विद्युत विभाग के अधिकारी अनसुना कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) किसान मोर्चा के अध्यक्ष सूर्यपाल सिंह चौहान ने सोमवार को कहा, “अब किसान आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं, अगर दोपहर तक समस्या का निस्तारण नहीं हुआ तो किसान सड़क मार्ग जाम कर हिंसक आंदोलन भी कर सकते हैं।” उपजिलाधिकारी राकेश कुमार ने कहा, “अभी तक मैं छुट्टी पर था, दोपहर तक किसानों के धरनास्थल पहुंच रहा हूं। दूसरे विद्युत फीडर से बिजली सप्लाई करवा कर जल्द किसानों की समस्या का निदान किया जाएगा।”
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