शाहरुख खान
लखनऊ. यूपी एसटीएफ ने दो साल पहले फर्जी दस्तावेजों के सहारे सेना में 29 जवानों की भर्ती का खुलासा किया था। कैंट थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी, लेकिन यह मामला सेना और यूपी पुलिस की लड़ाई बनकर रह गया। यूपी पुलिस की विवेचना अब तक आगे नहीं बढ़ पाई है।
यूपी एसटीएफ ने 16 नवंबर 2016 को सेना भर्ती में फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए लखनऊ से एक कंप्यूटर कोचिंग सेंटर के संचालक अनिल श्रीवास्तव और कैंट स्थित एमबी क्लब के दो नौकरों मिलन थापा व संदीप थापा को गिरफ्तार किया था। एसटीएफ ने दावा किया था कि इस पूरे गेम का मास्टर माइंड नेपाल मिलिट्री इंटेलीजेंस का बर्खास्त कर्मचारी प्रकाश थापा था, जो नेपाली नागरिकों को भारतीय सेना में भर्ती कराने के नाम पर सात से दस लाख रुपये लेता था।
नेपाल के सुरखेत जिले में रहने वाले प्रकाश थापा ने करीब पांच साल पहले सुरखेत के ही मूल निवासी व अपने रिश्तेदार मिलन थापा के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा शुरू किया था। दस साल से लखनऊ में रह रहा मिलन थापा नेपाली गोरखा युवकों को लखनऊ लाकर फर्जी निवास व जाति प्रमाणपत्र तैयार करके उन्हें सेना व अन्य महकमों में नौकरी दिलाता था। वह एमबी क्लब के नौकर संदीप थापा से सेना संबंधी जानकारी लेता था और माया कंप्यूटर कोचिंग के संचालक अनिल श्रीवास्तव के संग मिलकर फर्जी प्रमाणपत्र तैयार किए जाते थे। इस फर्जीवाड़े में सेना के रिटायर्ड हवलदार और राजस्व विभाग के अस्थायी कर्मचारी का नाम भी सामने आया था।
विवेचक कैंट थाने के एसएसआई धर्मेंद्र कुमार दूबे ने बताया कि इस मामले में जिन लोगों को जेल भेजा गया था, उनकी हाईकोर्ट से जमानत हो चुकी है। पुलिस व प्रशासन की ओर से आरोपियों को जिला बदर करने की कार्रवाई भी की जा रही है। फर्जी दस्तावेज से जिन 29 सैनिकों की भर्ती की बात कही गई थी, सेना उनकी आंतरिक जांच कर रही है।
देश की सुरक्षा को खतरा
बाद में ऐसे ही फर्जीवाड़े के मामले में एटीएस ने वाराणसी से भी कुछ जालसाजों को दबोचा था। एटीएस के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं देश की सुरक्षा के साथ बड़ा खतरा साबित हो सकती हैं। क्योंकि फर्जी दस्तावेजों से सेना में भर्ती हो रहे जवान न सिर्फ सेना से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं, बल्कि यह देश के किसी भी कैंटोनमेंट या संवेदनशील स्थानों पर आसानी से पहुंच सकते हैं जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
आखिर कैसे हो गया सत्यापन
सूत्रों का कहना है कि सिर्फ 29 ही सैनिक नहीं, बल्कि लखनऊ और वाराणसी में मिलाकर बड़ी संख्या में ऐसे सैनिक हैं जिनकी भर्ती फर्जी दस्तावेजों से हो गई है। सेना के अधिकारी भी इस फर्जीवाड़े को नहीं पकड़ पाए जबकि सेना में भर्ती से पहले अभ्यर्थी के पते का सत्यापन कराने के साथ ही एलआईयू रिपोर्ट भी ली जाती है। एसे में सेना के अधिकारियों से लेकर वेरिफिकेशन करने वाले एलआईयू के अफसरों पर भी सवाल उठे, जिनका जवाब अब तक नहीं मिल सका है।
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