तारिक आज़मी।
वाराणसी। साहब हम तो पहले भी लिखा था जब पिछले पखवारे दालमंडी में मकान हम लेंगे, नहीं हम लेंगे को लेकर दालमंडी के कुछ शूरवीर चौक थाने के सामने भीड़ पड़े थे और खूब ले ढिशुम ढिशुम दे ढिशुम ढिशुम हुई थी। मौके पर पहुचे पुलिस कर्मी दोनों पक्षों को लेकर थाना चौक आ गये था। मामला आपस का बता कर दोनों पक्षों ने रात को ही कथित सुलह कर लिया और ये ले ढिशुम ढिशुम, दे ढिशुम ढिशुम का पटाक्षेप थाना पर ही हो गया और दोनों पक्ष हसते मुस्कुराते रजनीगंधा के साथ तुलसी मुह में घुलाते हुवे घर को चले गये थे। हम तो तभी कहा था कि ये ले ढिशुम ढिशुम, दे ढिशुम ढिशुम फिर कोई रंग खिलायेगी मगर मिर्ज़ा साहब मानने को तैयार ही नही थे कि ढिशुम ढिशुम हुई कि नही हुई।
अब मामला ठण्डा हुआ तो मौसम में भी कुछ ठण्ड का अहसास हो गया। फिर क्या था ठण्ड के अहसास के बीच ही बुधवार को सुबह शरीर के अन्दर का खून गर्म हो गया और बात मुहाचाही से शुरू होकर हाथ पैर तक पहुच गई। जैसे ही हाथ पैर की बात हुई तो फिर एक बार ले ढिशुम ढिशुम, दे ढिशुम ढिशुम शुरू हो गया। लोग जब तक बीच बचाओ करते ढिशुम ढिशुम अपने चरम पर पहुच गया। इसी दौरान किसी ने इसकी जानकारी थाना चौक को दे दिया और बता दिया कि दालमंडी में ले ढिशुम ढिशुम, दे ढिशुम ढिशुम हो रही है।
मामले की जानकारी होने के बाद मौके पर तुरंत पुलिस कर्मी दौड़ते हुवे पहुचे और बताया कि थाने के इतने नज़दीक मारपीट नहीं किया जाता है और कुल 7 लोगो को टांग कर थाना चौक की सुबह सुबह 9 बजे ही शोभा बढ़ा दिये। मार्किट के अन्दर मारपीट करने वाले थाने पर आकर आपस में दोस्त बन गये और दुबारा एक दुसरे के गले लग कर मोर भैया कहने लगे। कोई किसी के खिलाफ लिखित देने को तैयार नही था।
मगर थाना चौक के एसएसआई चन्द्र प्रकाश कश्यप और दालमंडी चौकी प्रभारी जमालुद्दीन किसी भी तरह का अब जोखिम उठाने को तैयार नही थे। उन्होंने सीधे सभी 7 लोगो को सीआरपीसी 151 में बुक कर दिया। शाम तक लोग अपनी अपनी ज़मानत करवा कर घर वापस आ गये। फिर वही रजनीगंधा के साथ तुलसी का मिश्रण मुह में घुलाये बटेरो के कसीदे गुडगुडाती आवाजों में होने लगे और दावे एक बार फिर से पुख्ता हो चुके कि बनारस की असली तवारीखी इबारत तो हम ही लिखेगी।
वैसे बताते चले कि कान में कडवा तेल डाल कर बैठा वाराणसी विकास प्राधिकरण अब आँखों में ढेर सारा सुरमा भी लगा बैठा है और दालमंडी क्षेत्र में खुल्लम खुल्ला अवैध निर्माण की इजाज़त शायद कल्लू के पान को खाकर मुंडी हिला कर दे चूका है। इस क्षेत्र के नियम कायदे कानून सब कुछ यहाँ के अचानक व्यापारी से बिल्डर बने लोग ही है। एक ईंट रखी जाए अथवा पूरा बड़ा विशालकाय कटरा बन जाए मगर विकास प्राधिकरण की नींद नही खुलेगी तो नही खुलेगी। फिर भले कुछ भी हो क्या फर्क पड़ता है।
संपत्ति का है असली विवाद
दालमंडी में इस बार ले ढिशुम ढिशुम और दे ढिशुम ढिशुम के पीछे संपत्ति का विवाद है। बारीक अन्दर तक जाकर जानकारी हासिल करके हमको बताने वाले सूत्र बताते है कि रोशन कैप के नाम से मशहूर एक संपत्ति बिक गई है। पहले चाईना के मोबाइल में अपने नाम को रोशन करने वाले एक सज्जन शाहनवाज़ उर्फ़ शानू मोबाइल ने उक्त संपत्ति के निर्माण का ठेका लिया है। सूत्र तो यह भी बताते है कि शानू मोबाइल के लोगो ने ही वह संपत्ति ख़रीदा है। संपत्ति में फरमान मिया काफी पुराने किरायेदार है। अचानक संपत्ति बिक जाने से मालिक बदल सकता है तो बदल गया मगर किरायेदार बेचारा कहा जाये। उसको खाली करवाने के तमाम जतन जारी है। अब मोबाइल की रिंग बजी तो फोन कोई न कोई तो उठाएगा। बस हो गई ढिशुम ढिशुम जमकर।
अब भाई तफ्तीश जारी है, जल्द ही हम दालमंडी में थोक के भाव में हो रहे अवैध निर्माणों के सम्बन्ध में आपको सबूतों के साथ खबरे लेकर हाज़िर होंगे। ज्यादा नहीं दो तीन दिनों में ही हम आपको दिखायेगे कितना कितना किसका किसका इस एचऍफ़एल में निर्माण का फायदा है। हमारे सुचना तंत्र मजबूत है और हम आपको बतायेगे कि एक विवादास्पद कटरा बनाने वाले के परिवार द्वारा इस क्षेत्र में किया जायेगा सबसे बड़ा निर्माण। जुड़े रहे हमारे साथ
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