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आख़िर यमन के मासूम बच्चों के नरसंहार पर दुनिया क्यों चुप है यमनी बच्चों की रोगेट खड़े कर देने वाली वीडियो

आफ़ताब फ़ारूक़ी

यमन के मासूम बच्चों की सुध लेने वाला कोई नहीं, इस्लामी जगत भी ख़ामोश तमाशाई बना हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष “यूनिसेफ़” के क्षेत्रीय निदेशक “ग्रेट कैपलीयर” का कहना है कि यमन में जैसे-जैसे युद्ध बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे इस देश की स्थिति और अधिक भयावय होती जा रही है। कैपलीयर का कहना है कि अरब देशों में जहां पहले से ही यमन सबसे ग़रीब और निर्धन देश था सऊदी गठबंधन द्वारा इस देश पर युद्ध थोपे जाने के बाद इस देश की स्थिति बहुत ही ख़राब हो गई है और अगर यमन युद्ध को नहीं रोका गया तो आने वाले कुछ समय में दुनिया यमन में एक बड़ी मानव त्रासदी की साक्षी बनेगी।

यूनिसेफ़ के क्षेत्रीय निदेशक ने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा यमनी पक्षों के मध्य एक महीने के भीतर शांति वार्ता आरंभ किए जाने की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि अगले 30 दिन, यमनी जनता और विशेषकर इस देश के मासूम बच्चों तक मानवता प्रेमी सहायता पहुंचाने और आम लोगों की जान बचाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने एक रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2015 से अब तक 6 हज़ार से अधिक बच्चे मौत की नींद सो चुके हैं जबकि इससे अधिक यमनी बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

दूसरी तरफ़ यूनिसेफ़ ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि यमन पर सऊदी अरब के हमलों के आरंभ से अब तक हताहत व विक्लांग होने वाले यमनी बच्चों की संख्या 5000 से ज़्यादा है। यमन में बच्चों की तादाद लगभग 1 करोड़ 10 लाख है। वर्तमान समय में लगभग सभी बच्चों को मानवीय सहायता की ज़रूरत है।

ज्ञात रहे कि सऊदी अरब ने 26 मार्च से यमन पर हमले के साथ साथ इस देश की ज़मीनी, हवाई और समुद्री नाकाबंदी कर रखी है। यमन पर सऊदी अरब के हमलों में अब तक 14000 से ज़्यादा यमनी नागरिक हताहत, दसियों हज़ार घायल और दसियों लाख बेघर हुए हैं। सऊदी अरब के अतिक्रमण के नतीजे में यमन को खाद्य और दवाओं के गंभीर संकट का सामना है। सऊदी अरब और उसके घटक यमन पर व्यापक स्तर पर हमले के बावजूद, यमनी जनता के प्रतिरोध की वजह से अपना लक्ष्य नहीं साध पाए हैं।

aftab farooqui

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