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म्यांमार में होने वाले चुनावो में सूची की पार्टी की करारी हार क्यों हुई

 

मो आफ़ताब फ़ारूक़ी

राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ अन्थोनी कार्टलूची कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों व अधिकारों में जिस चीज़ को नस्ली सफाये का नाम दिया गया है वह म्यांमार के राख़ीन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हो रहा है और सूची ने उस पर अपनी आखें मूंद रखी हैं।

म्यांमार की नेशनल लीग फार डेमोक्रेस पार्टी को इस देश के मध्यावधि चुनावों में भारी पराजय का सामना करना पड़ा है। इस पार्टी की नेता आंग सान सूची हैं। पार्टी के प्रवक्ता ने चुनावों में मिलने वाली हार को लोगों में पार्टी और सूची की लोकप्रियता में कमी का परिणाम बताया। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी की पराजय इस बात क सूचक है कि म्यांमार के लोग सूची और उनकी पार्टी के क्रिया-कलापों से प्रसन्न नहीं हैं। नेशनल लीफ फार डेमोक्रेसी 2015 में सत्ता में पहुंची थी।

म्यांमार के लोगों ने इस पार्टी को जो वोट दिया था यद्यपि उसका एक कारण कई दशकों से म्यांमार की सैनिक सरकार को खत्म करना था और लोगों को आशा थी कि सूची म्यांमार में शांति व सुरक्षा को मज़बूत करके देश में शांतिं स्थापित करेंगी परंतु सूची लोगों की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरीं।

इसी प्रकार म्यांमार के लोगों की एक अपेक्षा यह थी कि सूची  रोहिंग्या मुसलमानों के संकट का समाधान करेंगी परंतु इस संबंध में भी उन्होंने कुछ नहीं किया। ज्ञात रहे कि म्यांमार में अतिवादी बौद्धों ने वर्ष 2012 से इस देश के मुसलमानों के खिलाफ हत्या और अपराध का बाज़ार गर्म कर रखा है।

राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ अन्थोनी कार्टलूची कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों व अधिकारों में जिस चीज़ को नस्ली सफाये का नाम दिया गया है वह म्यांमार के राख़ीन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हो रहा है और सूची ने उस पर अपनी आखें मूंद रखी हैं।

सूची जब अपने घर में नज़रबंद थीं तब उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों के संकट के समाधान का वादा किया था परंतु सत्ता में आने पर उन्होंने न केवल इस संकट का समाधान नहीं किया बल्कि उन्होंने मुसलमानों के अधिकारों की उपेक्षा की और सैनिकों द्वारा उन पर किये जा रहे अपराधों का समर्थन भी किया जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी आलोचना का कारण बना।

यही नहीं अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संस्थाओं द्वारा सूची के क्रिया- कलापों की आलोचना इस बात की सूचक है कि वह म्यांमार के लोगों की मांगों की उपेक्षा कर रही हैं और केवल इस देश के सैनिक कमांडरों का समर्थन कर रही हैं जबकि राष्ट्रसंघ ने दोषी सैनिक कमांडरों पर मुकद्दमा चलाने का आह्वान किया था।

बहरहाल म्यांमार के लोगों ने सूची की नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी को वोट न देकर आंग सान सूची के क्रिया- कलापों और उनकी पार्टी के प्रति अपनी अप्रसन्नता एवं विरोध को दर्शा दिया है।

aftab farooqui

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