फारुख हुसैन
खमरिया खीरी। जहां योगी सरकार की शख्ती के बाद भी आम जनता का शोषण रुकने का नाम नही ले रहा है वही चिकित्सा विभाग में उच्चाधिकारियों द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के शोषण की कहानियां आम हो गयी है चिकित्सा विभाग से संबंधित एम्बुलेंस कर्मचारियों की शोषण व अभद्रता की कहानी उस समय प्रकाश में आई जब उक्त कर्मचारियों ने अपने सीनियर जिला प्रभारी द्वारा किये जा रहे शोषण व अभद्रता से तंग आकर दर्जनों कर्मचारियों ने भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ मुख्यमंत्री से लिखित शिकायत करके न्याय की गुहार लगाई।
लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी उच्चाधिकारियों द्वारा जिला प्रभारी रमाशंकर शुक्ल पर कोई कार्यवाही न किये जाने से पीड़ित एम्बुलेंस कर्मचारी मायूस नजर आ रहे है। जबकि पीड़ित एम्बुलेंस कर्मचारियों की माने तो उक्त सीनियर अधिकारी द्वारा उनपर लगातार नाजायज दबाव बनाया जा रहा है और नौकरी से निकालने की धमकी भी दी जा रही है। पीड़ित कर्मचारी न्याय की आस और कही नौकरी न खो दें इस डर से दर दर भटकने को मजबूर है।
बताते चलें जहां प्रदेश सरकार द्वारा जनहित में क्षेत्र की आकस्मिक चिकित्सा सेवाओं के लिए चलाई गई 102, 108 एंबुलेंस सेवाएं भ्रष्टाचार के चलते दम तोड़ रही हैं। एंबुलेंस वाहनों पर तैनात इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन और इनके पायलटों ने जिले में तैनात सभी एंबुलेंस सेवा के संचालन एवं देख रेख के जिम्मेदार जिला प्रभारी रमाशंकर शुक्ल पर शोषण करने, पैसों की मांग करने, शराब की मांग करने के साथ दुर्व्यवहार व अभद्रता का आरोप लगाया है। उनके अनुसार उनकी मांगों को पूरा न करने पर कर्मचारियों को दूसरे क्षेत्रों में भेज कर, अनावश्यक रिपोर्टिंग की मांग, फोन पर गाली गलौज, छोटी-छोटी बातों के लिए जिला मुख्यालय बुलाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया हैं।
ईसानगर, नकहा व धौराहरा में तैनात सभी एंबुलेंस के ईएमटी व पायलटों ने अपनी संस्था जीवीके ईएमआरआई के उच्च अधिकारी सीओ, एचआर को अपने शिकायती पत्र से सूचित कर न्याय की गुहार लगाई। संस्था के उच्च अधिकारियों द्वारा कई दिनों बाद भी किसी प्रकार की जांच या कार्यवाही न करने के कारण आज सभी 16 कर्मचारियों ने अपने हस्ताक्षर का शिकायती पत्र मुख्यमंत्री के पोर्टल के माध्यम से भेज कर न्याय की गुहार लगाई है। इसके अलावा कर्मचारियों ने बताया क्षेत्र में 108 एंबुलेंस पायलट ना होने के कारण 2 दिन से खड़ी है। जिसके लिए भी मनमानी करते हुए जिला प्रभारी ने अभी तक कोई पायलट की व्यवस्था नहीं की है। इससे जनहित के लिए चलाई गई आकस्मिक चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए एंबुलेंस सेवाएं स्वयं दम तोड़ती नजर आ रही हैं।
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