अनीला आज़मी
रायबरेली। जेल भले आम इंसान के लिए एक सजा की जगह हो, मगर अपराधी इसको भी अपनी चारागाह बना बैठे है। एक वायरल विडियो ने जेल की व्यवस्था की कलई खोल दिया। वायरल वीडियो में प्रशासन के दावे की भी पोल पट्टी खुल गई। वीडियो वायरल होने के बाद एडीजी जेल चन्द्रप्रकाश ने सोमवार को जेल अधीक्षक, जेलर, डिप्टी जेलर समेत छह जेलकर्मियों को निलम्बित कर दिया है। जेल के भीतर शराब, सिगरेट, गोलियां और मोबाइल से बातचीत करते हुए कैदियों का वीडियो वायरल हुआ था, जिसकी जांच के बाद तथ्यों के सही पाये जाने पर रायबरेली के जेल अधीक्षक प्रमोद शुक्ला, जेलर गोविन्दराम वर्मा, डिप्टी जेलर रामचन्द्र तिवारी, मुख्य जेल वार्डन लालता प्रसाद और कर्मियों शिव मंगल व गंगाराम को लापरवाही बरतने पर निलम्बित किया गया है।
इसको पैच मैनेजमेंट ही कहा जायेगा और कुछ भी नही क्योकि इस प्रकार जेल के अन्दर इस अय्याशी की ज़िन्दगी को जीते ये माफियाओ पर प्रशासन क्या रोक लगा पायेगा ये संदेह के घेरे में है। जेलर, डिप्टी जेलर, जेल कर्मियों के निलम्बन के बाद इस पैच मैनेजमेंट के तहत इस मामले में अपर पुलिस महानिरीक्षक वीपी श्रीवास्तव ने तत्काल प्रभाव से रायबरेली जेल के कैदियों निखिल सोनकर का सुल्तानपुर, अजीत का बाराबंकी, दलसिंगार सिंह का फतेहपुर और अंशू का प्रतापगढ़ जिला कारागार स्थानांतरण कर दिया गया है। वीडियो में पांचों कैदियों को 10 हजार रुपये की लेन-देन के लिए बात करते देखा जा रहा है, जिसमें से पांच हजार रुपये जेल के एक अधिकारी को देने की बात की जा रही है। रायबरेली जेल के वीडियो वायरल होने की सूचना लखनऊ के बैठे अधिकारियों तक पहुंची तो रायबरेली पुलिस प्रशासन व जेल प्रशासन की नींद खुली। अब वरिष्ठ जेल अधीक्षक, जेलर, डिप्टी जेलर के निलम्बन की कार्रवाई के बाद रायबरेली जेल में सख्ती बढ़ाई जाएगी।
यही नही आशंका पाए जाने पर कुछ बैरकों की फर्श की खुदाई भी की गई। तलाशी में बादाम, अखरोट जैसी खाने की कुछ चीजें ही बरामद हुई, जो कि जेल के अंदर कैसी पहुंची, यह प्रश्न जेल प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर रहा है। जिलाधिकारी संजय खत्री ने जांच कर रिपोर्ट शासन को भेजने की बात कही है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि बिना जेल के लोगों की संलिप्तता से यह सब संभव नहीं है। बताते चले कि रायबरेली की जिला जेल में अव्यवस्थाओं का फायदा दबंग कैदी उठाते हैं। बीते 23 नवम्बर को इसी शिकायत पर पांच कैदियों को दूसरे जेल में स्थानान्तरित किया गया था। इसके अलावा अक्टूबर माह में एक कैदी की मौत बैरक के अंदर हुई थी, जिसकी अभी जांच चल रही है।
बताते चले कि लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र नेता विनोद त्रिपाठी की हत्या के मामले में अंशु दीक्षित का नाम सामने आया था। वीडियो में अंशु दीक्षित के साथ अजीत चौबे, सिंगार सिंह, सोहराब और निखिल सोनकर नजर आ रहे हैं। यह अपराधी बैरक नंबर 10 में बिना किसी भय के साथ शराब और चखने के साथ पार्टी कर रहे हैं। रायबरेली जिला जेल प्रशासन की मिलीभगत से इन अपराधियों को जिला जेल में मनमाना खाना, शराब और उसके साथ चखना भी मिल रहा है। खास बात यह है कि जेल में बंद अपराधी फोन पर अपने साथी को 10 हजार रुपये में से 5 हजार रुपए किसी अधिकारी को देने की बात कह रहा है। साथ में सफ़ेद शराब की भी मांग हो रही है
देखे क्या है वायरल वीडियो में
वीडियो सामने आने के बाद जेल प्रशासन ने अपनी गर्दन बचाने के लिए शहर कोतवाली में एक तहरीर दी, जिसमें चार मोबाइल और एक सिम मिलने की बात कही गयी है। तहरीर में 4 लोगों के नाम दिए गए हैं, जबकि वीडियो में 5 लोग नजर आ रहे हैं। जेल प्रशासन ने बैरक में कारतूस और पिस्टल का तहरीर में जिक्र नहीं किया गया। फिलहाल मामले में जेल प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं एडीजी जेल चंद्र प्रकाश ने रायबरेली जेल पर बयान देते हुए कहा कि डीएम की जांच रिपोर्ट आई है। जांच में जेल अधिकारियों की शिथिलता पाई गई है। जिसके चलते जेल सीनियर सुप्रिडेन्डेन्ट प्रमोद कुमार शुक्ला, जेल के जेलर, एक डिप्टी जेलर, हेड वार्डर, एक वार्डर के साथ कुल 6 को निलंबित किया गया है। जेल की स्थित का आंकलन जारी है, अगर कुछ और बाते सामने आती है तो विभागीय कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने कहा कि पिछली बार बागबत जेल में जब घटना हुई थी उसके बाद से लगातार प्रशासन के द्वारा बहुत एहतियात बरती जा रही है। सभी डीएम, एसएसपी को निर्देशित किया गया था। सभी जेलों की मासिक चेकिंग की जाए जिससे घटनाओ को रोका जा सके। वहीं सिक्योरटी ऑटिड भी करवाया जा रहा है। अभी तक सभी जेलों का ऑटिड तो नही हो पाया है। आगे कहा कि कुछ समय पहले जेल मुख्यालय पर मीटिंग हुई थी। मीटिंग में डीजीपी साहब से रिक्वेस्ट की गई थी की जेलों में मोबाइल न इस्तेमाल न हो इसके लिए क्राइम ब्रांच,एसटीएफ जेल सुप्रिडेन्डेन्ट की एक टीम बनाई जाए। जिससे सूचनाओं का आदान प्रदान आसानी से किया जा सके, जिससे इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। इस तरह की घटनाएं न हो जिनके मामले नाम सामने आते है इसलिये उन सब पर कठोर कार्यवाही की गई है। ताकि विभाग के और अधिकारी कर्मचारी सबक ले और ऐसी घटनाएं न हो। सभी 6 लोगो को अलग-अलग जेलों में स्थानांतरण कर दिया गया है। जेल के अधिकारियों द्वारा मुकदमा भी लिखवाया है, जिसमे 4 मोबाइल भी बरामद हुए थे। विवेचना में अगर और कुछ निकलता है तो आगे कार्यवाही की जाएगी। भविष्य में किसी भी जेल में ऐसी घटनाएं न हो इसके लिए कठोर कार्यवाही की जा रही है।
बड़ा सवाल नहीं सुलझा या फिर प्रशासन को नज़र नही आया
पहला बड़ा सवाल अगर ये है कि जेल के अन्दर इतनी सुविधाये इन माफियाओ को कैसे मिल गई तो दूसरा सवाल ये भी है कि जेल के अन्दर का ये वीडियो कहा से बन गया। आखिर जेल में कैमरा अथवा मल्टीमीडिया सेट कैसे पहुच गया। मगर ये कोई बड़ी बात नही हो सकती है। क्योकि जब जेल के अन्दर असलहा और शराब पहुच सकती है तो क्या जेल के अन्दर कैमरा नही पहुच सकता है। मगर सवाल ये है कि ये जिस भी कैमरे से रिकॉर्ड हुवा है वह भी जेल के अन्दर है आशंका से इनकार नही किया जा सकता है कि यह कैमरा अथवा मल्टीमीडिया सेट भी किसी कैदी का ही हो और आपसी खुन्नस निपटाने के लिये वीडियो बनाया गया हो। क्योकि वीडियो बनाने वाले का उद्देश्य साफ़ नज़र आ रहा है कि इसको वायरल करना है। शायद यही वजह होगी जो इस वीडियो में वह जेल के बैरेक को हर एंगल से दिखा रहा है। इसी दौरान एक अपराधी द्वारा फोन करके किसी गुप्ता को धमकी भी दिया जाता है जो साफ़ साफ़ इस वीडियो में दिखाई दे रहा है।
खैर जो भी हो मगर जेल की व्यवस्था की असली कलई इस वायरल विडियो ने खोल अवश्य दिया है। अब देखना होगा कि कितने जिलो में छ्पेमारी के दौरान इस तरीके की सामग्री बरामद होती है और फिर उसके बाद शासन स्तर से क्या कार्यवाही होती है। सब मिलाकर कहा जा सकता है कि पिक्चर अभी बाकी है।
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