जोशो-खरोश से मनाया जाएगा जश्ने ईदमिलादुन्नबी
प्रदीप दुबे विक्की
ज्ञानपुर(भदोही) पैगम्बर हजरत मुहम्मद सल्ल. का जन्म 571 ईस्वी में मक्का शहर में हुआ था। कुछ विशेषज्ञ इसे 570 ई. भी मानते हैं। इसी खुशी के पर्व पर ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है, जो जनपद के विभिन्न मुस्लिम ईलाकों मे आज बुधवार को मनाया जा रहा है। मोहम्मद साहब ने ही इस्लाम धर्म की स्थापना की थी। ऐसा उल्लेख मिलता है कि वे इस्लाम के आखिरी नबी हैं और इनके बाद कयामत तक कोई नबी नही आने वाला। मक्का में स्थित काबा को इस्लाम धर्म में पवित्र स्थल घोषित किया गया है।
बताया जाता है कि इससे पहले सामाजिक व धार्मिक स्थिति बिगड़ी हुई थी। गरीबों पर अत्याचार होते थे, महिलाएं सुरक्षित नहीं थीं। असंख्य कबीले थे जो कमजोरों को अपना शिकार बना लेते थे। पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने अल्लाह की प्रार्थना पर जोर दिया, लोगों को बताया कि पाक-साफ रहने का नियम क्या है। किस तरह गरीब और कमजोरों की मदद और सेवा से अपने आप को अल्लाह का करीबी बनाया जा सकता है। हजरत मोहम्मद साहब मदीना की ओर कूच किये और उन्होंने अल्लाह का पवित्र संदेश लोगों तक पहुंचाया। उस दौरान यह मक्का के धार्मिक और सामाजिक निगेबानों को ये सब पंसद नही आया परिणामस्वरूप उन्होंने 622 ई. में मक्का से मदीना की ओर कूच किया। उनकी इस यात्रा या सफर को हिजरत कहा जाता है। यहीं से इस्लामी कैलेंडर हिजरी की शुरुआत होती है। उनका मदीना में स्वागत किया गया। उन्होंने जंग-ए-बदर का भी सामना किया।
अल्लाह के पवित्र संदेश के बाद 632ई. में हजरत मुहम्मद सल्ल. ने दुनिया से पर्दा कर लिया। आज पूरी दुनिया में उनके बताए तरीकों पर लोग अमल कर रहे हैं। इस बार ईद मिलादुन्नबी का जुलूस बुधवार को जिले सभी मुस्लिम इलाकों में जोश-खरोश के साथ मनाया जाएगा। तमाम मुस्लिम बच्चियों की मस्जिद में खूबसूरत रंग बिरंगी लाइटों से सज रही है मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जश्ने ईद मिलादुन्नबी की खुशियां देखते ही बनती हैं।