जावेद अंसारी
बुलंदशहर: मोब लीचिंग देश की एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। भीड़ तंत्र सब कुछ अपने हाथ में ले ले रहा है और फिर जो कुछ हो रहा है वह इंसानियत के ऊपर एक बड़ा कलंक के तरह हो रहा है। दादरी से शुरू यह मोबलीचिंग अब बुलंदशहर को अपने ज़द में ले चुकी है। जिसमे एक इस्पेक्टर सहित दो लोगो को अपनी जान गवानी पड़ी है। इस भीड़ को भड़काने का बहुत आसन सा तरीका समाज में एकता के विरोधियो को मिल चूका है वह है गौवंश। बस एक आवाज़ ही काफी होती है और फिर न जाँच न कुछ्, भीड़ खुद न्यायतंत्र के तरह इन्साफ करने पर उतर जाती है। भले मांस की पुष्टि न हो पाये मगर भीड़ उसका फैसला खुद ही कर लेती है, मामला कही न कही धार्मिक जज्बातों के साथ जुड़ा होने की बात करने वाले उस वक्त ज़रूर खामोश रह जाते है जब अन्ना पशुओ की बात होती है। मगर भीड़ को इस एक नाम से भड़काने का सबसे आसन तरीका बनता जा रहा है।
कल ही की तो बात है इस माब लीचिंग ने जहा बुलंदशहर को अपने ज़द में ले लिया और गोकशी के शक में बुलंदशहर में जमकर हिंसा हुई। बुलंद शहर के जिस जिस गांव में हिंसा हुई उस गांव महाव के पूर्व प्रधान का कहना है कि हमारे गांव वालों ने पथराव नहीं किया, बल्कि पथराव करने वाले लोग बाहर के थे। पूर्व प्रधान प्रेमजीत सिंह ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा, कि ‘पुलिस के साथ हमारी सुलह हो गई थी। पुलिस ने आश्वासन दे दिया था कि आरोपियों के खिलाफ एफआईआर हो जाएगी। हमारे गांव के लोग भी मान गए थे, लेकिन अचानक बजरंग दल के लोगों ने ट्रैक्टर पर कब्ज़ा कर लिया। हमने बहुत समझाने की कोशिश की। लेकिन वह नहीं माने।’ प्रेमजीत सिंह के खेत में भी गाय के कुछ अवशेष मिले थे, जिसके बाद यह विवाद हो गया था।
प्रेमजीत सिंह ने बताया, ‘हमने ट्रैक्टर हटा लिया था। लेकिन जब हम ट्राली हटाने गए तो पथराव शुरू हो गया। पथराव करने वाले गांव के नहीं थे। मुझे नहीं पता कि इतने पत्थर कहां से आ गए। गांव में तो इतने पत्थर होते नहीं। मैं तो सुलह करवा रहा था। अचानक भीड़ ने पत्थर मारना शुरू कर दिया। ये सब बाहर के लोग थे। जब पत्थर चलने लगे तो हम जान बचा कर भागे। ये लड़का योगेश राज आगे था, इसका हमसे कुछ लेना देना नहीं है। मुझे नहीं पता कि जब पुलिस एफआईआर कर रही थी तो पत्थर क्यों चले? ये सुनियोजित लगता है।’
अवशेष खेतों में ही गाड़ना चाह रहे थे, लेकिन भीड़ नहीं मानी।
एक अन्य खेत में भी अवशेष मिलने की बात सामने आ रही है। खेत के मालिक का नाम राजकुमार है। इस सम्बन्ध में राजकुमार की पत्नी रेनू ने बातचीत में बताया है कि ‘जब हम कल (तीन दिसंबर) खेत पहुंचे तो हमें वहां गाय के अवशेष मिले। हमने इसके बारे में पुलिस को सूचना दी। तब तक काफी संख्या में गांव वाले और भीड़ हमारे खेत में पहुंच चुकी थी। इसके बाद हमने अवशेष खेत में गाड़ने का फैसला किया, लेकिन भीड़ नहीं मानी। भीड़ ही ट्रॉली लेकर आई और उसमें अवशेष डाले और कहा कि हम थाने जाकर जाम करते हैं। हमने इस पर मना किया और कहा कि हम माहौल खराब नहीं करना चाहते। लेकिन भीड़ नहीं मानी।’ जब उनसे पूछा गया कि हिंसा करने वाले लोग कौन थे तो उन्होंने कहा, ‘हम नहीं बता सकते कि भीड़ में बजरंग दल के लोग थे या नहीं।’
ज्ञातव्य हो कि सोमवार को बुलंदशहर के महाव गांव में गोकशी की सूचना पर पुलिस पहुंची थी। वहां गुस्साई भीड़ को पुलिस ने समझाने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने पुलिस पर ही हमला कर दिया। हमले में यूपी पुलिस के एक इंस्पेक्टर पर मौत हो गई। वहीं एक अन्य नागरिक की भी इसमें मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है और कार्रवाई शुरू कर दी है। इसमें अब तक चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में तफ्तीश अभी जारी है और कल एसआईटी अपनी जाँच रिपोर्ट प्रेषित करेगी। जैसा एसआईटी को निर्देशित किया गया है कि 48 घंटे में जाँच रिपोर्ट प्रेषित करना है। इस बीच इस बवाल के मुख्य सूत्रधार मानते हुवे योगेश राज को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। योगेश राज बजरंग दल का जिला संयोजक बताया जा रहा है। वही ग्राम सभा में सन्नाटा छाया हुआ है। क्षेत्र में प्रयाप्त पुलिस बल उपलब्ध है और हर स्थिति से निपटने को प्रशासन तैयार है। इस मामले में अभी तक बजरंग दल के तरफ से कोई बयान नही आया है।
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