प्रदीप दुबे विक्की
ज्ञानपुर(भदोही) सार्वजनिक विसरण प्रणाली के तहत सरकारी राशन की दुकानों को कितना मिट्टी का तेल मिला इसका स्टेटस तो सरकार द्वारा ऑनलाइन अपडेट किया जाता है । लेकिन इसमें से कितना तेल हितग्राहियों को वितरण किया गया ।इसकी जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं होती। जिसका फायदा उठाकर उचित मूल्य की दुकान के संचालकों द्वारा अधिकारियों से सांठगांठ कर जमकर कालाबाजारी की जा रही है ।
बता दें कि उचित मूल्य की दुकान से हितग्राहियों को मिट्टी का तेल सरकारी दर पर 20 से ₹22 प्रति लीटर की दर से मिलता है । वही मिट्टी का तेल खुले बाजार में 50 से ₹60 प्रति किलो की दर से आसानी से खपाया जा रहा है । कालाबाजारी के इस खेल में दुकानदार संचालक से लेकर अधिकारियों की भी संलिप्तता है । इस स्तर पर शासन स्तर से भी शिकायत के बावजूद परिणाम कुछ भी नहीं निकलता है । मिट्टी के तेल के विषय में व्यवस्था कुछ ऐसी है , कि अक्सर इसकी दर बदल दी जाती है ।कभी इसे 21रुपये प्रति लीटर कभी 22 रुपये । तेल कितने मात्रा में दिया जाएगा, यह भी फिक्स नहीं है । अधिकारी भी कहते हैं कि प्राप्त आवंटन के आधार पर दुकानदार से एक या फिर अधिकतम दो लीटर किराशन तेल हितग्राहियों को दे सकते हैं। इस नियम के वजह से व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। कहना है कि मिट्टी का तेल कितनी मात्रा में उचित मूल्य की दुकानों से वितरण किया गया इसकी जानकारी ऑनलाइन अपडेट नहीं होने से कालाबाजारी कर 60 रुपये प्रति लीटर की दर से बाजारों में ब्लैक कर दिया जा रहा है।
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