प्रदीप दुबे विक्की
ज्ञांनपुर(भदोही) गरीबों को राशन व मिट्टी का तेल मिले ना मिले लेकिन खाद्य आपूर्ति विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां पर प्रतिमाह कार्ड धारकों को पूरा राशन बांट दिया जाता है । किसी भी कोटेदार के यहां से कोई भी वापसी नहीं आती है । कोटेदारों के अनुसार हर कार्ड धारक को गेहूं चावल व मिट्टी का तेल दिया जा रहा है । जबकि हकीकत यह है कि हजारों लोग कभी भी राशन लेने राशन की दुकान पर नहीं जाते हैं। सवाल यह उठता है कि जो लोग राशन लेने नहीं जाते हैं , उनके हिस्से का राशन व तेल कहां जाता है ? यह बात विभाग भी बताने को तैयार नहीं है । इसी वजह से कोटेदारों का खेल होता रहता है । कोटेदार राशन उठाने वाले गरीबों के हिस्से का राशन और मिट्टी के तेल को ब्लैक करते हैं। डीएसओ कार्यालय में कोटेदारों द्वारा जो वितरण रजिस्टर भेजा जाता है, उसमें शत-फीसदी वितरण दिखाया जाता है । इसी प्रकार प्रति कोटेदारों द्वारा 30 फीसदी राशन की प्रतिमाह हेरा फेरी की जाती है । कोटेदारों के यहां राशन के बाद यदि कोई किरासन तेल लेने जाता है , तो उसे स्टाक की कमी का हवाला देते हुए निर्धारित मात्रा में किरासन तेल में कटौती की जाती है। तेल वितरण के बाबत जानकारी मांगने पर वक्ताओं ने नाराजगी जताई ,और कहा कि किरासन तेल नहीं मिलता, ऊपर से कोटेदारों द्वारा कहा जाता है कि कार्ड निरस्त करा दिया जाएगा। इससे कोटेदारों को भारी मुनाफा हो जाता है । लोगों का कहना है कि अंगूठा लगाने पर तो राशन मिल जाता है ,लेकिन मिट्टी का तेल कौन पी जाता है, इसकी जानकारी विभाग भी देना उचित नहीं समझता है । क्योंकि कोटेदारों द्वारा प्रत्येक माह उन्हें रकम चढ़ाई जाती है।
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