गौरव जैन
बुलंदशहर जिस कथित गौहत्या को लेकर बुलंदशहर में हिंसा हुई और एक बहादुर तथा इमानदार पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी गई, उस मामले में पुलिस जल्द ही एक चौंकाने वाला खुलासा कर सकती है। सूत्रों से प्राप्त समाचार के अनुसार इस सिलसिले में पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है, जिससे संकेत मिलता है कि जिस पशु के अवशेष मिले थे, वह दरअसल गाय नहीं बल्कि नीलगाय थी, जिसे शिकारियों ने गांव वालों के कहने पर मारा था।
सूत्रों से प्राप्त समाचारों को आधार माना जाये तो बुलंदशहर की हिंसा की जांच बेहद अहम पड़ाव पर पहुंच गई है और पुलिस जल्द ही इसका खुलासा करने वाली है। बुलंदशहर के नए पुलिस कप्तान प्रभाकर चौधरी के नेतृत्व में इस हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने कई जगह दबिश देकर कुछ लोगों को हिरासत में लिया है, जिससे इस पूरे मामले के रहस्य का खुलासा होने वाला है, साथ ही इस हिंसा के पीछे सांप्रदायिक सद्भाव खत्म करने की साजिश भी सामने आ सकती है। बताते चले कि प्रभाकर चौधरी एक तेजतर्रार और कर्त्तव्य निष्ठ अधिकारी के रूप में जाने जाते है। अपने बलिया कार्यकाल के दौरान इन्होने इस मार्ग से होने वाली पशु तस्करी पर इस तरह शिकंजा कसा था कि तस्करी ही बंद हो गई थी। नॅशनल लेवल की मीडिया पर प्रभाकर चौधरी उस समय चर्चा का विषय बन गये थे जब कानपूर देहात स्थानांतरण के बाद अपने कार्यालय चार्ज लेने वह रिक्शा से पहुचे थे और पुलिस कर्मियों ने उनको पहचाना भी नही था।
रोचक तथ्य यह है कि स्थानीय लोगों में पुलिस की इस कार्यवाही को लेकर जो चर्चा है उसमें दोनों समुदायों के लोगों ने राहत की सांस ली है। जानकार बताते है कि बीती रात पुलिस ने ताबड़तोड़ कई जगह दबिश देकर तीन लोगों को गिरफ्तार किया है और इनके सरगना की तलाश जारी है। सूत्रों की माने तो इनमे सबसे अहम बात यह निकल कर सामने आ रही है कि बजरंग दल नेता योगेश राज द्वारा लिखाई गई एफआईआर में लगे आरोप जांच में निराधार पाए गए हैं। इस एफआईआर के आधार पर जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, पुलिस उनकी रिहाई के लिए अदालत भी जाने की तैयारी कर रही है।
ध्यान रहे कि 3 दिसंबर को बुलंदशहर में कथित गौकशी का नाम लेकर बजरंग दल और कुछ अन्य हिन्दू संगठनों ने भारी हिंसा की थी। इस हिंसा में स्याना के कोतवाल सुबोध कुमार राठौर की हत्या कर दी गई थी। आगजनी में कई वाहन स्वाह हो गए थे। आगजनी और हिंसा के बाद हिन्दू संगठन बजरंग दल पर लगातार सवाल उठ रहे थे। इस हिंसा में एक स्थानीय युवक सुमित की भी मौत हुई थी। बवाल और हिंसा उस समय शुरु हुई थी जब सुबह-सुबह बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने माहाब गांव के जंगलों में मिले एक पशु अवशेषों को लेकर जाम लगा दिया था। कहा गया कि पशु अवशेष गाय के हैं। लेकिन कुछ पुलिस अफसरों ने दबी ज़बान में कहा है कि जांच में जल्द ही खुलासा होगा कि पशु अवशेष गाय के नहीं थे।
हिंसा के बाद पुलिस ने हिंदू संगठनों से जुड़े दो दर्जन से ज्यादा लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर उनके पोस्टर चस्पा किए हैं। साथ ही पुलिस ने जंगल में मिले पशु अवशेष के सिलसिले में स्याना से तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक स्याना के आसपास के जंगलों में बड़े पैमाने पर जंगली नील गाय (इसे नील घोड़े भी कहते हैं) का शिकार किया जाता रहा है। यह शिकार स्याना के आसपास के 5-6 किमी के दायरे में फैला हुआ है। नील गायों के झुंड खेतों में घुसकर फसल बरबाद कर देते हैं, इसलिए गांव वाले इलाके के कुछ पेशेवर शिकारियों को इन्हें मारने के लिए कहते हैं। जांच के सिलसिले में नए पुलिस कप्तान ने इलाके के जंगलों में करीब 3 किलोमीटर तक कॉम्बिंग की। इस दौरान उन्हें जंगल में कई जगह नील गाय के अवशेष मिले। समझा जा रहा है कि नील गाय के ही अवशेषों को को ट्रैक्टर में भर कर जाम लगाया जा रहा था।
इस इलाके में होने वाले शिकार की जानकारी अधिकतर लोगों को है। स्थानीय लोगों का मानना है कि बजरंग दल के कार्यकर्ता भी यह बात जानते थे और इज़्तिमा के समय वो खुद जंगलो में अवशेष तलाशने गए थे जिससे बहाना बनाकर वबाल किया जा सके। लेकिन इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह उनकी मंशा की राह में रोड़ा बन गए, जिसके बाद उनकी हत्या कर दी गई। उच्च पुलिस सूत्रों के मुताबिक ऐसे तीन शिकारियों से पूछताछ चल रही है, जिन्होंने नील गाय का शिकार करना कबूल किया है और एक बंदूक भी बरामद की गई है। नई पड़ताल में यह सामने आ आया है कि पूर्व में गोकशी के आरोप गिरफ्तार किए गए चारों आरोपी अब निर्दोष हो सकते हैं।
गौरतलब है कि बजरंग दल संयोजक योगेशराज ने घटना वाले दिन नया बांस निवासी 7 लोगो को नामजद करते हुए एफआईआर लिखाई थी। इन सात लोगों में दो नाबालिग़ों के साथ 3 ऐसे लोग भी थे जो दस साल पहले ही गांव छोड़कर जा चुके हैं। बाकी दो ने खुद के इज़्तिमा में होने के सबूत भी पुलिस को दिए थे। हम इस सम्बन्ध में लगातार खबरे आपको दिखाते रहे और जानकारी देते रहे। योगेश राज ने अपनी एफआईआर में दावा किया था कि उसने सुदैफ़ चौधरी, शराफत, परवेज, सरफूद्दीन और उसके साथियों को गाय काटते हुए देखा। लेकिन जांच में अब कहानी झूठी पाये जाने की बात निकल कर सामने आने की संभावना प्रतीत हो रही है और सूत्रों की माने तो पुलिस सरफूद्दीन की रिहाई की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि बजरंग दल नेता योगेश राज अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ है, 3 दिसम्बर को हुए बवाल के बाद मेरठ के आईजी रामकुमार ने कहा था कि हमारे लिए बड़ा सवाल यह है कि गाय को किसने काटा! पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस सवाल का जवाब मिल गया है। लेकिन, इंस्पेक्टर की हत्या किसने और क्यों की? कौन लोग या संगठन हैं जो जंगलो में मिले नील गाय के अवशेषों का लाभ लेकर बवाल कराना चाहते थे?
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