तारिक आज़मी
वाराणसी। दालमंडी क्षेत्र वैसे तो नव निर्माण में कदम शहर में सबसे अधिक आगे बढ़ा चूका है। मगर क्षेत्र में आज भी कुछ मकान ऐसे है जो जर्जर होकर ज़मिदोज़ होने के कगार पर खड़े है मगर उसके ऊपर किसी महकमे का कोई ध्यान नही जा रहा है। इसी कड़ी में माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर एक जर्जर भवन को पुलिस ने खाली करवा कर तुडवाया है। इस मकान में किरायदारो का विवाद होने के कारण मकान जर्जर होकर ज़मिदोज़ होने के कगार पर था। इस मकान के लिये हुई कार्यवाही के बाद क्षेत्र में एक भवन का लटक रहा बरामदा भी लोगो को रो रो कर अपनी गुहार सुना रहा है कि कभी भी मैं गिर जाऊंगा तो काफी बड़ा हादसा हो सकता है। कोई मेरी भी फिक्र करो मगर शायद किसी के कानो तक उसकी आवाज़ नही पहुच रही है।
पहले भी हो चूका है विवाद
वैसे इस भवन को लेकर पहले भी एक बार विवाद हुवा था तब स्थानीय पुलिस ने दोनों पक्षों को मिलाकर कुल लगभग ७ लोगो पर शांति भंग की कार्यवाही किया था। इसके साथ विवाद का पटाक्षेप होने के बजाय और उल्टा बढ़ गया। ताज़े घटनाक्रम में हुआ कुछ इस प्रकार कि इस भवन के सटे रोशन कैप नाम से मशहूर एक भवन जिसका भवन संख्या 39/04 है के स्वामी समर खान ने निर्माण शुरू करवाया। क्षेत्र के चर्चाओ को अगर आधार माने तो भवन संख्या 39/05 के मालिक का नाम शहनवाज़ है। और इस भवन के किरायदार है फरमान इलाही।
दोनों भवनों के बीच एक दिवार कामन है। आपसी रजामंदी होने पर दोनों को यह दिवार चौड़ाई में आधी आधी मिलनी है। इस दौरान बगल के पडोसी रोशन कैप वाले समर खान ने अपने भवन का निर्माण शुरू करवा दिया। इस निर्माण के दौरान जब मामला कामन दिवार पर आया तो समर खान और फरमान इलाही के बीच एक समझौता हुआ जिसके अनुसार आधी आधी दिवार दोनों की हो जानी थी। मामला लिखा पढ़ी के साथ हो गया। इस समझौते के कागजात के तौर पर नोटरी लिखा पढ़ी भी हुई और फरमान इलाही ने समर खान से समझौता भी कर लिया।
क्या कहती है जाँच रिपोर्ट
इस प्रकरण की जाँच का काम मिला हर्ष कुमार भदौरिया को। विवेचक ने मामले की जाँच के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि फरमान इलाही ने गलत तरीके से समझौते किया है। यही नहीं उन्होंने अपनी रिपोर्ट में फरमान इलाही के ऊपर कानूनी कार्यवाही हेतु भी रिपोर्ट प्रेषित किया। इस रिपोर्ट में हम विवेचक के कार्यशैली को प्रश्नचिंह तो नही लगा रहे है मगर मामला जो गले से नीचे नही उतर रहा है वह यह है कि फरमान इलाही ने गलत तरीके से समझौता किया, खास तौर पर समझौता उस भवन का किया जिसके ऊपर उनको मालिकाना हक़ भी नही है। कानून के दायरे में तो आता है और ये प्रकरण अपराधिक श्रेणी में भी आता है।
खैर साहब विवेचक साहब ने अपने समझ से सही ही विवेचना किया होगा हम उनकी विवेचना पर सवालिया निशान नही लगा रहे है। मगर हमारा उद्देश्य सिर्फ इस खबर को उठाने का ये है कि जिस प्रकार से जर्जर होकर इस भवन की दीवारे लटक रही है। किसी घटना दुर्घटना से इनकार नही किया जा सकता है। अब देखना होगा कि कब तक इस भवन के दिन बहुरेगे।
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