फारुख हुसैन
पलियाकलां-खीरी। वन विभाग कमाई के चक्कर में खुद के बनाये नियमों की धज्जियां कैसे उड़ा रहा है, इसका जीता-जागता उदाहरण दुधवा के बनाये गये बैरियरों पर आसानी से देखा जा सकता है। जहां पर बैठे कर्माचारी चंदनचौकी के वन एरिया में बिकने हेतु जाने वाले मुर्गा व मछली की गाडिंयों को जाने देते हैं।
जानकारी के अनुसार चंदनचौकी क्षेत्र का कुछ एरिया दुधवा टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है। जहां पर चंदनचौकी जाने के लिए टाईगर रिजर्व द्वारा दो बैरियर लगाए गए हैं। जहां पर मौजूद वन कर्मचारियों की अनुमति से ही मालवाहक गाडि़यों गुजरती है। जिसमें से एक बैरियर तो दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य द्वार पर व दूसरा बैरियर चंदनचौकी पोंगरा नाले पर है। इन बैरियरों से होकर हर हफ्ते तीन से चार गाड़ी मुर्गा व लगभग इतनी मात्र में मछली की गाड़ी चंदनचौकी में बिकने को जाती है। जो कि दुधवा टाइगर रिजर्व में पूरी तरीके से प्रतिबंधित है।
एक तरफ वन विभाग मछली शिकारियों पर नकेल कसने की हर संभव कोशिश में लगा है। वहीं जंगल एरिया से मछलियों को चंदनचौकी क्षेत्र में बिकने के लिए जाने दे रहा है। वहीं फार्मी मुर्गों को बिकने के लिये जाने देने से बर्ड फ्लू जैसे रोगों की की संभावना को भी मना नही किया जा सकता है। जिसकी चपेट में जंगल के पक्षी भी आ सकते हैं। इस संबंध में जब उत्तरी सोनारीपुर रेंज के रेंजर प्रदीप वर्मा से बात की गई तो उन्होनें अनभिज्ञता जताते हुये बताया कि मेरे संज्ञान में यह कुछ नही है और में अभी रास्ते मे हूँ। कल कार्यलय पर आइये बैठकर बात होती है।
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