हरिशंकर सोनी
सुलतानपुर। प्रधान की हत्या के लिए दुष्प्रेरण के मामले में हिस्ट्रीशीटर जितेंद्र सिंह मुन्ना व उसके भाई महेंद्र की रिमांड के लिए पर्याप्त आधार न पाते हुए बीते 24 नवम्बर को सीजेएम ने अभियोजन की अर्जी खारिज कर दी थी। अदालत के इस आदेश से पुलिस विभाग की बड़ी किरकिरी भी हुई। फिलहाल विवेचक ने अपनी कमियों में सुधार कर पर्याप्त साक्ष्य जुटा लेने का दावा करते हुए हिस्ट्रीशीटर के भाई महेंद्र सिंह की रिमांड के लिए पुनः अर्जी दी है।सीजेएम आशारानी सिंह ने विवेचक की मांग पर 6 दिसम्बर के लिए आरोपी को जेल से तलब किया है।
मालूम हो कि कोतवाली नगर क्षेत्र के रामनगर कोट निवासी हिस्ट्रीशीटर जितेंद्र सिंह मुन्ना के भाई शारदा प्रसाद उर्फ राजा बाबू की कबरी गांव वालों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। मामले में कबरी के प्रधान जेपी निषाद समेत अन्य पर मुकदमा दर्ज हुआ। उधर प्रधान जेपी निषाद की तरफ से महेंद्र सिंह समेत अन्य के खिलाफ रंगदारी के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया। इस मुकदमें के अलावा आैर एक रंगदारी का मुकदमा जेपी निषाद की पत्नी ने दर्ज कराया। जिसमें हिस्ट्रीशीटर जितेंद्र सिंह मुन्ना समेत अन्य नामजद हुए। इन मामलों में जितेंद्र सिंह व उसके भाई महेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इसी बीच जितेंद्र सिंह मुन्ना व उसके भाइयों के जरिए कबरी प्रधान के हत्या की साजिश रचने का मामला सामने आया। जिसमें पुलिस ने वर्ष 2014-15 में आरोपी मनोज सिंह की पहचान महेंद्र सिंह से होने का तथ्य रखते हुए अपने भाई शारदा प्रसाद उर्फ राजा बाबू की हत्या का बदला लेने के लिए मनोज सिंह व इंद्रेश तिवारी आदि से वार्ता कर प्रधान की हत्या के लिए साजिश रचा जाना बताया और वारदात को अंजाम देने के लिए अपाची मोटर साइकिल,तमंचा व 5100 रूपया नकद देने का तर्क रखते हुए जितेंद्र सिंह व महेंद्र सिंह के खिलाफ प्रधान की हत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का आरोप लगाया।
विवेचक ने सहआरोपी के बयान के आधार पर उन्हें मुल्जिम बनाते हुए कोर्ट से रिमांड की मांग की। जिस पर बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत कर पुलिस की कहानी को बेबुनियाद बताया आैर रिमांड खारिज करने की मांग की। इसके अलावा जितेंद्र सिंह मुन्ना ने स्वयं भी कोर्ट के सामने अपने तर्क प्रस्तुत कर पुलिस की कहानी को बिल्कुल ही झूठा करार दिया आैर बेवजह ही प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात विवेचक रमेश सिंह की तरफ से पेश किये गये तथ्यों को निराधार मानते हुए सीजेएम आशारानी सिंह ने रिमांड लेने से इंकार करते हुए अभियोजन की अर्जी खारिज कर दी थी।
अदालत के इस आदेश से पुलिस की तफ्तीश पर सवाल भी उठा। इस असफलता के पीछे विवेचक की कमजोर लिखा-पढ़ी मानी गई। कानूनी खेल में हुई इस हार से पुलिस विभाग की जमकर किरकिरी भी हुई।सूत्रों की मानें तो इस असफलता के पीछे जिम्मेदार माने गए विवेचक को एन-केन प्रकारेण रिमांड न करा पाने पर विभागीय कार्यवाही की चेतावनी भी मिली।जिसके बाद हरकत में आये विवेचक ने अपनी भूल में सुधार करने के लिए रिमांड मंजूर कराने की तैयारी शुरू कर दी। विवेचक ने मंगलवार को सीजेएम कोर्ट में पर्याप्त सबूत जुटा लेने का विश्वास दिलाते हुए मात्र आरोपी महेंद्र सिंह की रिमांड के लिए अर्जी दी है।सीजेएम आशारानी सिंह ने विवेचक की मांग पर पुनः रिमांड पर सुनवाई को लेकर आरोपी महेंद्र को छह दिसंबर के लिए जिला कारागार से तलब किया है।
अब देखना है कि पुलिस महेन्द्र का रिमांड करा पाने में सफल होती है कि नही।वहीं मात्र महेंद्र की रिमांड के लिए अर्जी देने के पीछे पुलिस का यह दांव माना जा रहा है कि पहली बार जितेंद्र सिंह की संलिप्तता बताने के चलते फेल हुई पुलिस या तो अब जितेंद्र को मुल्जिम बनाना ही नही चाहती, या फिर महेन्द्र की रिमांड में सफलता मिलने के बाद ढंग से तैयारी कर जितेंद्र की रिमांड के लिए भी अर्जी देकर पारी-पारी रिमांड कराना चाहती है।फिलहाल हो चाहे जो लेकिन इस बार पर्याप्त अवसर देने के बाद भी रिमांड होने में किसी प्रकार की चूक बरते जाने पर विवेचक रमेश सिंह पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।इस बार पुलिस की तैयारी को देखकर बचाव पक्ष के लिए रिमांड खारिज करा पाना भी किसी चुनौती से कम नही है।
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