आदिल अहमद
मुंबई: कहा जाता है कि आतंकवाद का कोई धर्म अथवा मज़हब नही होता है। जो काश्मीर में हो रहा है वह भी किसी धर्म से सम्बंधित नही है वही दूसरी तरफ जिसकी तैयारी नालासोपारा में चल रही थी वह भी किसी धर्म युद्ध का हिस्सा तो नही हो सकता है। नालासोपारा हथियार मामले में ताज़ा जानकारी हासिल हो रही है कि प्रकरण की जांच कर रही महाराष्ट्र एटीएस ने अदालत में दायर आरोप पत्र में गिरफ्तार आरोपियों को आतकी बताया और दावा किया है कि सभी सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति के सदस्य हैं और नालासोपारा में वैभव राऊत के घर और गोदाम से बरामद हथियार और विस्फोटक देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने में इस्तेमाल होने थे। इसके बाद विवादित कट्टरपंथी सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति की मुसीबत बढ़ सकती है।
वही दूसरी तरफ सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने एटीएस के इस दावे को हास्यास्पद बताया है। प्रवक्ता चेतन राजहंस के मुताबिक हमने 26 अगस्त 2018 को अपने पत्रकार परिषद में पहले ही साफ कर दिया था कि उनमें से कोई भी सनातन के साधक नहीं हैं। उनमें 4 युवक संस्था के कार्यक्रम में एकाध बार शामिल हुए थे बस। बाकी के 5 का तो हमने कभी नाम भी नहीं सुना था। चेतन राजहंस ने आरोप लगाया कि सनातन संस्था को बदनाम करने के लिये भगवा आतंकवाद की फर्जी कहानी गढ़ी जा रही है।
तकरीबन 6000 पन्नों के आरोप पत्र में एटीएस ने आरोपियों के पास से बरामद हथियारों के जखीरे के साथ सनातन संस्था की मराठी में लिखी किताब ‘छात्रधर्म साधना’ का भी उल्लेख किया है। एटीएस के मुताबिक उक्त किताब से प्रेरणा लेकर गिरफ्तार आरोपी अपने आतंकी संगठन के जरिये हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की साजिश रच रहे थे। एटीएस ने ये भी दावा किया है कि गिरफ्तार आरोपी दिसंबर 2017 में पुणे में आयोजित पाश्चात्य संगीत समारोह ‘सनबर्न’ में धमाका करने की फिराक में थे लेकिन वहां की सीसीटीवी में एक आरोपी की तस्वीर कैद होने के बाद डर कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। सनातन के प्रवक्ता ने एटीएस के इस दावे पर पूछा है कि क्या एक कार्यक्रम में बम फोड़ने से देश हिन्दू राष्ट्र बन जायेगा।
बहरहाल पूरे मामले में कुल 12 आरोपी गिरफ्तार हैं और 3 फरार हैं। इनमें से शरद कलस्कर और अमोल काले डॉ। नरेंद्र दाभोलकर और गौरी लंकेश की हत्या के भी आरोपी हैं। विवादित कट्टरपंथी संस्था सनातन पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश साल 2011 से चल रही है लेकिन साल 2015 में एटीएस खुद सनातन पर प्रतिबन्ध को अव्यवहारिक बता चुकी है लेकिन नाला सोपारा हथियार कांड के बाद अब एटीएस के रुख में आये बदलाव से सनातन संस्था एक बार फिर से सवालों के घेरे में है। अब देखने वाली बात ये होगी कि इन संगठनो पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग किस राजनैतिक दल द्वारा शुरू होती है और सत्तारूढ़ दल का इसके ऊपर अपना क्या नजरिया रहेगा
तारिक आज़मी डेस्क: अयोध्या की बाबरी मस्जिद उसके बाद बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद और फिर…
निलोफर बानो डेस्क: आज समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधि मंडल दंगाग्रस्त संभल के दौरे पर…
ईदुल अमीन डेस्क: वफ़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 पर गठित संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) में…
माही अंसारी डेस्क: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से एकनाथ शिंदे ने इस्तीफ़ा दे दिया है।…
संजय ठाकुर डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के…
निसार शाहीन शाह जम्मू: जम्मू कश्मीर के कटरा में रोपवे लगाने को लेकर विरोध प्रदर्शन…