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चार सालो में भाजपा को कार्पोरेट घराने से मिले कुल 706 करोड़ का चंदा

आफताब फारुकी

नई दिल्ली : आम बोलचाल की भाषा में कहा जाता है कि जिसको हम चुनते है वही हमको धुनते है। जिसको हम अपने मतों के सहारे वीआइपी बनाते है वही हम लोगो को धुप में खड़ा करके गुज़रते है। चुनावों में लम्बे चौड़े खर्च करने वालो के पास आपको पता है पैसे आते कहा है ? ताज़ा आंकड़ों के अनुसार बीजेपी का 92% और कांग्रेस का 85% चंदा कारपोरेट कंपनियों से आता है।

देश मे चुनाव और पारदर्शिता पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2012-13 से 2015-16 के बीच देश के 5 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को कुल 957 करोड़ रुपये चंदा मिला। अकेले बीजेपी को 706 करोड़ रुपये कंपनियों ने दिये। जो कि उसकी कुल कमाई का 92 फीसदी है। जबकि कांग्रेस को 198 करोड़ रुपये मिले जो उसके कुल कमाई का 85% है। खास बात ये है कि सभी पार्टियों को चार साल में मिले कुल चंदे 957 करोड़ में से 573 करोड़ लोकसभा चुनाव के साल 2014-15 में आए।

20,000 रुपये से ऊपर के दान देने वाले की जानकारी पार्टियां चुनाव आयोग को देती हैं लेकिन अब केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बांड की मंजूरी दे दी जिसमें ये पता नहीं चल पाएगा कि किस पार्टी को किस कंपनी से कितना चंदा मिला। केंद्र सरकार के इस फैसले का एडीआर विरोध कर रहा है। गौरतलब है कि राजनीतिक पार्टियों पर हमेशा इस बात के आरोप लगते रहे हैं उनके चुनावी खर्च में कारपोरेट सेक्टर मदद करता है इसके बाद जब सरकार बनती है तो नीतियां भी इन्हीं बिजनेस घरानों के लिए बनाई जाती है लेकिन आम आदमी, किसान पिसता रहता है।

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