प्रदीप दुबे विक्की
ज्ञानपुर(भदोही)यदि आप के लाडले किसी स्कूल के बस से पढ़ने जाते हैं तो सतर्क हो जाएं. क्योंकि अधिकांश स्कूलों के बसों की कंडीशन ठीक नहीं है. आए दिन कहीं न कहीं स्कूली बसों के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबरें आ रही हैं. इन हादसों में छात्र व छात्राओं की जानें भी जा रही हैं. बावजूद इसके स्कूलों के प्रबंधतंत्र से जुड़े लोग इन हादसों से सबक नहीं ले रहे हैं. प्रबंधतंत्र द्वारा ध्यान न दिए जाने की वजह काफी हद तक प्रशासनिक अधिकारी भी हैं. अधिकारी स्कूलों की बसों में निर्धारित सुरक्षा के मानकों की जांच करना मुनासिब नहीं समझ रहे. ऐसे में तमाम स्कूलों के द्वारा खटारा व असुरक्षित बसों से बच्चों को घर से स्कूल व स्कूल से घर तक छोड़ा जा रहा है. जो खतरे से खाली नहीं है.
बताते चलें कि स्कूली वाहनो में क्षमता से अधिक बच्चे मनमाने ढंग से बैठाये जाते हैं। एक मैजिक वैन में आठ बच्चों के बैठने की जगह बताई जाती है. लेकिन, वाहन चालक 18 से 20 छात्र व छात्रों को भूसे की तरह ठूंस कर बैठा लेता है. इसकी वजह यह है कि चालक को स्कूल बच्चों के हिसाब से पेमेंट करता है. कमोवेश यही स्थिति स्कूली बसों में भी दिखाई देती है. बसों में भी सीट की क्षमता से अधिक बच्चे बैठाए जा रहे हैं. बच्चों की जान को जोखिम में डालने वाली इन स्कूली बसों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. लाडले को अच्छी तालीम देने की चाह में तमाम अभिभावक बच्चों की सुरक्षा को लेकर सजगता नहीं दिखा रहे हैं. सभी की आंखे तब खुलती है जब कोई बड़ा हादसा हो जाता है।
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