फ़ारुख हुसैन
सिंगाही खीरी। कस्बा सहित गांव में कुछ सरकारी सस्ता गल्ला की दुकानें ठेके पर चल रही हैं। दुकान संचालक दुकान को ठेके पर देकर कोई और काम कर रहे हैं। नियम के मुताबिक दुकान ठेके पर नहीं दी जा सकती है। ऐसा भी नहीं है कि विभाग के अधिकारियों को कुछ पता नहीं है।
क्षेत्र में एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों सरकारी सस्ता गल्ला की दुकानें हैं जो कि ठेके पर चल रही हैं। यहां ठेकेदार राशन कार्ड उपभोक्ताओं के साथ मनमाने ढंग से पेश आते हैं। कभी उपभोक्ताओं को राशन कम देते हैं तो कभी कोई बहाना कर राशन देते ही नहीं।
इससे सबसे ज्यादा फायदा जिसके नाम पर दुकान है उसको होती है। वह ठेकेदार से कमीशन लेता है बाकी अपना कारोबार अलग करता है। जबकि कानून यह कहता है कि अगर किसी राशन डीलर से दुकान नहीं चलायी जा रही है तो वह विभाग को इस्तीफा दे दें। ताकि यह दुकान किसी और की दी जा सके। मगर यहां ऐसा नहीं होता। साठगांठ से यह दुकान ठेके पर चलती हैं। उधर सप्लाई इंस्पेक्टर सुशील कुमार यादव न बताया
मेरे संज्ञान में नहीं है कि कोई राशन डीलर अपना दुकान ठेके पर संचालन करवा रहा है। एक बार इस तरह की शिकायत आयी थी तो उसी दौरान जांच पड़ताल करने के बाद उसकी दुकान पर कार्यवाही की गई थी । अगर इस तरह की कोई शिकायत आती है तो निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी।
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