इमरान खान
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जारी मुठभेड़ो के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का रुख सख्त दिखाई दिया। वही इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार का कहना था कि सारे मामलों की मजिस्ट्रेट जांच हो चुकी है और सभी तरह के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है। जो लोग इन मुठभेड़ों में मारे गए हैं उनके खिलाफ कई अपराधिक मामले चल रहे थे। जबकि मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह गंभीर मामला है। इसकी विस्तार से सुनवाई की जरूरत है। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की सुनवाई 12 फरवरी से करेंगे।
बताते चले कि उत्तर प्रदेश में बीते साल कई ताबड़तोड़ एन्काउंटर हुए हैं जिन पर सवाल भी उठते रहे हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की याचिका पर राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा था। योगी सरकार ने एनकाउंटरों के खिलाफ याचिका को प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण बताया।
प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। हलफनामे में कहा गया था कि अपराधियों को पीड़ित बनाकर पेश किया गया। अल्पसंख्यकों का एन्काउंटर करने का आरोप गलत है। मुठभेड़ में मारे गए 48 लोगों में से 30 बहुसंख्यक हैं। वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि अभी तक की जानकारी के मुताबिक एक साल में करीब 15 सौ पुलिस मुठभेड़ हो चुकी है। इनमें से 58 लोगों की मौत हो गई है। इन मुठभेड़ की कोर्ट की निगरानी या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी से जांच होनी चाहिए। साथ ही पीड़ितों के परिवार वालों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी मामले की जांच शुरू की है। फिलहाल अब सुप्रीम कोर्ट याचिका पर सुनवाई को सहमत हो गया है।
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