बिल्थरारोड (बलिया)। सरकारी स्कुलो में मोटी तनख्वाह पाने वाले प्रधानाचार्य और शिक्षक किस कदर लापरवाह है इसका अंदाज़ा आपको अक्सर देखने को मिलता होगा। आप बच्चो को स्कूल पढने के लिये भेजते है वही स्कूल के शिक्षक और उसके प्रधानाचार्य उससे दिहाड़ी मजदूरों के तरह काम करवाना शुरू कर दे तो क्या महसूस होगा आपको। आपको छोडिये खुद उस प्रधानाध्यापक को कैसा महसूस होगा जिसके स्कूल के बच्चे मासूमियत से एक बोर में मिटटी ढो रहे है। शायद मास्टर उस स्कूल में प्रिंसिपल साहब को पीटने पहुच जायेगे। मगर यहाँ साहब ऐसा वैसा कुछ नही है। यहाँ गरीबो के बच्चे है न साहब तो गरीब आवाज़ कैसे उठा सकता है। शायद इस विद्यालय के प्रिंसिपल ने भी कुछ ऐसे ही सोचा होगा। वो तो कोस रहे होंगे हमारे पत्रकार को जिसने इस तस्वीर को ही नही खीचा बल्कि खंड शिक्षा अधिकारी को इस सम्बन्ध में जानकारी प्रदान कर दिया।
प्रधानाचार्य सतीश चंद यादव ने पूछे जाने दो तरह की बातें की। कहाकि मैं स्कूल की रंगाई पुताई को लेकर समान हटवाने एक कक्ष में चल गया था। फिर कहा कि सफाईकर्मी स्कूल परिसर में मिट्टी खोदकर ला रहा था उसी के साथ 2-3 बच्चे चले गए थे। बच्चों से मिट्टी ढुलाई कार्य नही कराया जा रहा था। सवाल यह उठता है कि यदि बच्चे पढ़ रहे थे तो वे मिट्टी ढुलाई करते कैसे मिले? प्रधानाचार्य की लापरवाही पूर्ण जिम्मेदारी के चलते भयंकर हादसा का रूप ले सकती थी।
मौके पर सहायक अध्यापकों द्वारा पठन-पाठन कराते पाया गया। इस मामले की जानकारी फोन द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी सीयर निर्भय नारायण सिंह को दी गई, उन्होंने भी प्रधानाचार्य से मामले के बारे में पूछताछ की और तत्काल बच्चों को मिट्टी ढलाई कार्य से हटाने का निर्देश दिया। यह ईश्वर की कृपा रही कि एक भयंकर अनहोनी होने से बच गयी। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि दिलीप कुमार यादव ने इस प्रकरण में त्वरित कार्यवाही किये जाने पर जोर दिया। अब देखना है ऐसे संवेदनशील मामले में विभागीय कार्यवाही क्या अमल में लायी जाती है।
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