तारिक़ आज़मी
एक दिन हम काका से पूछा काका ई क्लब कैसे बना ? तो हमारे काका हमको बताये कि बेटवा ई जो आज कल कलब ओलब होता है, हमारे समय में वह चौपाल होती थी। उस समय सब गाव के सभ्य लोग वहा रात को बैठ कर मनोरंजन करते रहे। सभी सम्मानित और सभ्य लोगो का जमावड़ा होता था। जहा खाना पीना और हसी मजाक होता था। वही जब गाव शहर बना तो वैसी ही चौपाल जो पहले नीले गगन के नीचे लगती थी बंद कमरे में लगने लगी उसको ही क्लब कहते है।
काका के उत्तर से तो हम संतुष्ट हुवे मगर कन्फियुजिया गये थोडा तो एक वायरल होती तस्वीर काका को दिखा के पूछ बैठे का काका आपके समय में भी क्लब यानि चौपाल में ऐसे कार्यक्रम होते थे। तो काका एकदमे भड़क गये। बस फटकार दिहिन हमका। कहे ई अश्लीलता सभ्य लोगो की निशानी नही है। इतना कहकर काका तो खामोश हो गये और बहुते हिकारत भरी नज़र से देखते हुवे ऊ फोटोवा चले गये। ले आप लोग भी देख ले, वायरल फोटो पीएनयु क्लब के एक कार्यक्रम का होने का दावा किया जा रहा है। फोटो में सज्जन के हाथो में जाम देखे और पीछे नृत्य करती बार बाला को देखे।
बात समझ से जो परे है वह यह है कि इस शहर में कई अन्य क्लब है फिर जब देखो तब इसी क्लब के बारे में बात क्यों उठती रहती है। अब देखिये कभी सुनने में आया था कि क्लब में धिक्चियाऊ ध्क्चियाऊ हुआ तो कभी सुनने में आता है कि ढिशुम ढिशुम हो गया। कभी सुनने में आता है कि सर्विस टैक्स का बकाया 2016 में दिखाया जाता है। फिर बाद में अगले साल उसका भुगतान करे बिना उसको अगले साल की बैलेंस शीट में हटा दिया गया। वैसे इस प्रकरण में हमारे सूत्रों के अनुसार प्राप्त समाचारों के अनुसार वर्ष 2016 की बैलेंस शीट में क्लब का सर्विस टैक्स (जो सदस्यों से लेकर सरकार को जमा किया जाता है) की कुल बकाया राशि रुपया 29 लाख 69 हज़ार, 383 रुपया दिखाया गया था। फिर अगले वर्ष यानी वर्ष 2017 में उक्त राशि जिसको जमा नही किया गया वह बैलेस शीट से गायब थी।
ऐसी स्थिति में इस प्रकार के डांस प्रोगाम के होने का दावा सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर से किया गया। सिर्फ तस्वीर ही क्यों साहब एक तो वीडियो भी था। वो क्या मस्त गाना था लैला मैं लैला, कैसी मैं लैला,,,, गाना भले मस्त रहा हो साहब मगर जिस प्रकार का डांस उस गाने पर नर्तकी के द्वारा प्रदर्शित हो रहा था वह सभ्य समाज का हिस्सा तो नही हो सकता। मगर साहब क्या बताये काका के अनुसार उस समय सभ्य शालीनता की परिभाषा शायद आज से अलग रही होगी।
चलिये साहेब बड़े बड़े लोग है, शौक अपने अपने होते है। मगर हम कर भी क्या सकते है। हां क्लब बनारस की एक शान है इसको कहने में हमको कोई गुरेज़ नहीं है। होता रहता है जहा चार बर्तन रहते है तो आपस में टकराते भी है। हमको क्या है साहब न हम क्लब के मेंबर है और न होना चाहते है। फिर भी शहर में इसके नाम की चर्चाओ का बाज़ार गर्म देख कर हम भी थोडा बकबका लेते है। वैसे चर्चाओ के अनुसार लम्बे लम्बे खर्चे इस क्लब के नाम पर होते रहते है। तफ्तीश जारी है।
शाहीन अंसारी वाराणसी: विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट द्वारा…
माही अंसारी डेस्क: कर्नाटक भोवी विकास निगम घोटाले की आरोपियों में से एक आरोपी एस…
ए0 जावेद वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षाशास्त्र विभाग में अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा विरोधी…
ईदुल अमीन डेस्क: सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने संविधान की प्रस्तावना में…
निलोफर बानो डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के…
निलोफर बानो डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के…