अंजनी राय
नई दिल्ली. दीवान हाउसिंग फाइनेंस (डीएचएफएल ) में 31,000 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी का दावा किए जाने की रिपोर्ट्स के सामने आने के बाद कंपनी का शेयर 11 फीसद तक लुढ़क गया। कोबरापोस्ट के मुताबिक डीएचएफएल और उसकी सहयोगी कंपनियों ने गलत तरीकों का इस्तेमाल करते हुए 31,000 करोड़ रुपये से अधिक की सार्वजनिक संपत्ति का इस्तेमाल निजी संपत्ति बनाने में किया।
रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने पहले शेल कंपनियों को कर्ज दिए और फिर बाद में उसी रकम को कई संदिग्ध तरीकों से भारत के बाहर जमा किया गया और संपत्तियां खरीदी गईं। कोबरापोस्ट के इस खुलासे से हड़कंप मचा और कंपनी का शेयर 10 फीसद से अधिक तक लुढ़कते हुए एनएसई में 161.30 रुपये के स्तर पर जा पहुंचा, जो 52 हफ्तों का निचला स्तर है। बीएसई में कंपनी का शेयर 11 फीसद तक टूटते हुए 164.50 पर जा पहुंचा। बाद में इसमें कुछ रिकवरी आई और यह 8.1 फीसदी की कमजोरी के साथ 170.05 पर बंद हुआ।
खुलासे का असर शेयर बाजार पर भी पड़ा। मंगलवार को सेंसेक्स जहां 60 अंकों से अधिक की गिरावट के साथ बंद हुआ, वहीं निफ्टी ने भी लाल निशान में क्लोजिंग दी। कोबरापोस्ट ने दावा किया है कि डीएचएफएल ने शेल कंपनियों को बड़ी मात्रा में लोन दिए। शेल कंपनियों को लोन देकर कंपनी ने उनकी वसूली को मुश्किल बना दिया क्योंकि इन कंपनियों और निदेशकों के पास कोई संपत्ति नहीं थी।
खुलासे के मुताबिक, ‘बैंकों ने दीवान हाउसिंग को 37,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है, जिसमें एसबीआई की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। एसबीआई ने जहां इस कंपनी को 11,500 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा ने करीब 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया हुआ है।’ रिपोर्ट के मुताबिक करीब 31 भारतीय और विदेशी बैंकों और कंपनियों ने डीएचएफएल को 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है।
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