आदिल अहमद/आफताब फारुकी
नई दिल्ली: सरकार भले रोज़गार की जितनी बात कर ले और कुछ ही दावे कर ले। मगर ज़मीनी हकीकत में रोज़गार की क्या हालत है उसको बताने की ज़रूरत नही है। मामला महाराष्ट्र के राज्य सचिवालय का है। यहाँ कैंटीन वेटर के 13 पदों के लिए 7000 लोगों ने आवेदन दिया था जिनमें से ज्यादातर उम्मीदवार ग्रेजुएट थे। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि हाल ही में इन पदों के लिए 100 अंक की लिखित परीक्षा हुई थी। उनके लिए शैक्षणिक अर्हता चौथी पास है। उन्होंने कहा परीक्षा की औपचारिकताएं 31 दिसंबर को पूरी हुई और फिलहाल जोइनिंग प्रक्रिया चल रही है। चयनित 13 उम्मीदवारों में आठ पुरुष हैं और बाकी महिलाएं हैं। दो-तीन लोगों ने अब तक डॉक्यूमेंट्स नहीं जमा किए हैं और आधिकारिक रूप से काम करना शुरु नहीं किया है।
उन्होंने बताया कि चुने गए लोगों में 12 ग्रेजुएट हैं और एक बारहवीं पास हैं। इन 13 पदों के लिए अधिकतम ग्रेजुएट उम्मीदवार थे और बाकी बारहवीं पास थे। चुने गए उम्मीदवार 25-27 साल उम्र के हैं। ग्रेजुएट्स को मंत्रालय कैंटीन में वेटर के तौर पर नियुक्त किए जाने पर राज्य सरकार की आलोचना करते हुए विधानपरिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने कहा कि मंत्रियों और सचिवों को शिक्षित व्यक्तियों की सेवाएं लेने पर शर्म आनी चाहिए।
राकांपा नेता ने कहा, ‘‘महज 13 पदों के लिए 7000 आवेदन देश और महाराष्ट्र में रोजगार की स्थिति का स्पष्ट उदाहरण है। यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्नातक इन पदों के लिए चुने गए जबकि अहर्ता चौथी पास की थी।
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