तारिक खान
प्रयागराज। ध्वज-पताका की अद्भुत छटा, भांगड़ा-गिद्दा के मनोरम नृत्य के बीच भगवा वस्त्रधारी महात्माओं का कारवां सड़क पर निकला तो लोगों की आस्था हिलोर मारने लगी। श्रद्धा व भक्तिभाव से ओतप्रोत नर, नारी एवं बच्चों के शीश संतों के आगे स्वत: झुक गए। सड़क के किनारे, घरों की छतों पर खड़े लोगों ने संतों पर पुष्पवर्षा करके हाथ जोड़कर आशीष लिया। मौका था श्रीपंचायती अखाड़ा नया उदासीन की पेशवाई का। बैंडबाजा, ध्वज-पताका के साथ पैदल चल रहे महात्मा एवं चांदी के सिंहासन पर आसीन महामंडलेश्वरों पर सबकी आंखें टिकी रहीं।
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