तारिक खान
192 देशों को दिया निमंत्रण
यूपी सरकार ने इस बार कुंभ की वैश्विक ब्रांडिंग की है। मालूम हो कि यूपी पर्यटन के मामले में देश में दूसरे स्थान पर है। विदेशी पर्यटकों के मामले में यूपी का देश में तीसरा स्थान है। यूपी में विदेशी पर्यटक सबसे ज्यादा ताज और आध्यात्म के लिए आते हैं।
प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार ने पिछले दिनों लखनऊ में यूपी ट्रैवेल मार्ट का भी आयोजन किया था। सरकार ने यहां विदेश टूर संचालकों के लिए वाराणसी, आगरा, मथुरा, वृंदावन, बुंदेलखंड, बुद्ध सर्किट और अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों के दौरे का आयोजन किया था।
कुंभ में मौजूद ये विदेशी साध्वी लोगों के कौतुहल का विषय बनी हुई है। ये अकेली नहीं हैं, कुंभ मेले में इनके जैसी और भी कई विदेशी संत और साध्वी मौजूद हैं। ये पूरी तल्लीनता से आध्यात्म में डूबे हुए हैं।
कुंभ में आए विदेशी श्रद्धालु भी यहां आकर स्थानीय लोगों की तरह वेशभूषा धारण कर उन्हीं की तरह पारंपरिक तरीके से पूजा-अर्चना कर रहे हैं। जैसे ये विदेशी श्रद्धालु भगवा कपड़ों में शिवलिंग पर दूध चढ़ा रही है।
माना जाता है कि विदेशी पर्यटक अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग रहते हैं। इसका नजारा कुंभ में भी देखा जा सकता है। कुंभ में काफी संख्या में विदेशी प्रतिदिन मिलकर योगासन करते हैं। संगम तट किनारे चमकती रेत पर योग का ये दृश्य अद्भुत है।
गंगा एक्शन प्लान और गंगा की सफाई के लिए बने संगठन यहां पर स्थानीय साधुओं के साथ प्रतिदिन संगम तट की सफाई करते भी नजर आते हैं। गंगा की सफी करने वाले इन विदेशी सैलानियों का एक अलग समूह है। इनके साथ काफी संख्या में स्थानीय लोग भी सफाई अभियान में जुटते हैं।
वैसे तो आपको कुंभ के चप्पे-चप्पे पर विदेशी श्रद्धालु धार्मिक अनुष्ठान करते नजर आ जाएंगे, लेकिन यहां काफी संख्या में विदेशी श्रद्धालुओं का एक झुंड है जो एक जगह पर एकत्रित होकर धार्मिक अनुष्ठान और हवन आदि करता है।
यूं तो भारत के कई शहरों में टैंपो और बसों पर लटकर यात्रा करने वालों का नजारा आम है, लेकिन आज कल प्रयागराज में इन टैंपो और बसों पर विदेशी सैलानी भी लटकर या देशी स्टाइन में यात्रा करते नजर आ रहे हैं।
कुंभ मेले में कुछ विदेशी श्रद्धालु प्रकृति के संरक्षण का भी संदेश दे रहे हैं। ये सुबह-शाम संगम तट पर आरती में भी शामिल होते हैं। लोग इनके जब्जे को देखते रह जाते हैं।
कुंभ में जुटे तमाम संतों के आसपास आपको विदेशी शिष्य भी नजर आ जाएंगे। कई बार तो संत अपने विदेशी श्रद्धालुओं से इस कदर घिर जाते हैं कि देशी श्रद्धालुओं को भी अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। विदेशी श्रद्धालु भी स्थानीय भक्तों की तरह संतों के चरण में बैठे नजर आ रहे हैं।
विदेशी श्रद्धालु कुंब में केवल घूमने-फिरने या पूजा-पाठ ही नहीं कर रहे हैं। बल्कि वह भारतीय संस्कृति का हिस्सा भी बन रहे हैं। इसके लिए वह बकायदा संतों से दीक्षा भी ग्रहण करते हैं। वर्ष 2013 में आयोजित कुंभ में लगभग 1260 विदेशियों ने संतों से दीक्षा ली थी। इनमें से तकरीबन 900 विदेशी श्रद्धालु ऐसे थे, जिनकी आयु 25-30 वर्ष के बीच थी।
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