हर्मेश भाटिया
नई दिल्ली: आलोक वर्मा प्रकरण में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि राफेल मामले का डर प्रधानमंत्री के दिमाग में घूम रहा है जिस वजह से वह सो भी नहीं सकते। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहाल किये जाने के मात्र दो दिन बाद आलोक वर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक हाई पावर सेलेक्शन कमेटी ने ने गुरुवार को एक मैराथन बैठक के बाद एक अभूतपूर्व कदम के तहत भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोपों में सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया।
राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा, ”मोदी जी, के दिमाग में डर घूम रहा है। वह सो नहीं सकते। उन्होंने वायुसेना से 30 हजार करोड़ रुपये की चोरी की और अनिल अंबानी को।’ उन्होंने कहा, ”सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को दो बार हटाना स्पष्ट रूप से यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री अब अपने ही झूठ से घिर चुके हैं। सत्यमेव जयते।” गौरतलब है कि राफेल मामले को लेकर गांधी प्रधानमंत्री पर निशाना साधने के साथ अनिल अंबानी पर भी आरोप लगाते हैं। अंबानी समूह उनके आरोपों को पहले ही खारिज कर चुका है। उधर, सीबीआई निदेशक को हटाए जाने के बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया कि वर्मा को हटाने के इस कदम से फिर साबित हो गया है कि मोदी राफेल मामले की जांच से डरे हुए हैं।
कांग्रेस पार्टी ने आधिकारिक ट्वीट में कहा, ‘अपना पक्ष रखने का मौका दिए बिना आलोक वर्मा को हटाकर प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर दिखाया है कि वह राफेल मामले की किसी भी तरह की जांच से डरे हुए हैं, चाहे वह सीबीआई निदेशक द्वारा जांच हो या जेपीसी की जांच हो।’ दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की मैराथन बैठक के बाद आलोक वर्मा को गुरुवार को सीबीआई निदेशक पद से हटा दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि 1979 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया। इसके साथ ही एजेंसी के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले वह सीबीआई के पहले प्रमुख बन गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कल सेलेक्शन कमेटी की बैठक में 2:1 से ये फ़ैसला लिया गया। पैनल में मौजूद पीएम मोदी और चीफ़ जस्टिस के प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद जस्टिस एके सीकरी वर्मा को हटाने के पक्ष में थे। वहीं पैनल के तीसरे सदस्य के तौर पर मौजूद लोकसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आलोक वर्मा को हटाने के विरोध में थे। उन्होंने समिति को विरोध की चिट्ठी भी सौंपी। पैनल ने पाया कि सीवीसी ने आलोक वर्मा पर गंभीर टिप्पणियां की हैं। पैनल को लगा कि आलोक वर्मा जिस तरह के संवेदनशील संस्था के प्रमुख थे, उन्होंने वैसा आचरण नहीं किया।
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