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हजरत मिस्कीन शाह वारसी का 100वां उर्स का हुआ समापन, आकर्षण का केंद्र रहा चिरागाॅ जुलूस

प्रत्यूष मिश्रा

बांदा। हजरत मिस्कीन शाह वारसी का 100वां उर्स सोमवार की सुबह कुल की फातेहा व रस्म चिरागां के साथ सम्पन्न हो गया। शुक्रवार से सोमवार तक चले इस उर्स में फातेहा ख्वानी, कुरान ख्वानी, गुलपोशी, चादर पोशी, लंगर एवं खानकाही कव्वालियांें की महफील सजाई गई। रविवार के दिन नरैनी रोड स्थित मस्कीन शाह वारसी की दरगाह में सारा दिन मेला लगा रहा। हिंदू मुस्लिम सभी धर्मो के मानने वालों ने दरगाह में माथा टेका। चादरपोशी की रविवार की पूरी रात दरगाह परिसर में खानकाही कव्वालियों की धूम रही।

कव्वाल र्पािर्टयों ने एक से बढकर एक कलाम पेश किए जिस पर वारसी सिलसिले के लोगो ने कव्वाल पार्टियों पर नोटों की बौछार की। कव्वाल पार्टी शादाब शाहजहांपुर ने कलाम सुनाया पुकारो मेरे मौला केा पुकारो, संवर जायेगी किस्मत बेसहारों। सरवर ताज दिलबर ताज ने पढाः आप मेरे अगर नहीं होते, चैन से दिन बसर नहीं होते। प्यारे निजामी फिरोजाबाद ने पढा- यह कैसा जादू तूने निगाहे यार किया, मै बेकरार न था, तूने बेकरार किया। वकील ताज जहांगीरी बेलाताल ने पढा-मेरी हसरते मेरी आरजू तेरी हर अदा पर निसार है, तू सुकुने जान है जानेमान मेरे दिल को तुझसे करार है। वकील साबरी ने पढा-यह तेरा करम है मुर्सिद मेरी बात जो बनी है, तेरे आशिकों की महफिल तेरे दम से ही सजी है। शहजाद वारसी ने पढा- तेरे दर्द की तमन्ना तेरे गम की आरजू है, मुझे क्या गरज किसी से मेरी हर मुराद तू है।

सईद फरीद निजामी टीकमगढ ने पढ़ा-मेरे दिलरूबा का ये आस्तां जहां खुल्द जैसी बहार है, यहां आषिकों का हुजूम है, यहां मेरे दिल को करार है। सिराज आरफी ने पढा-तेरा दर मिल गया मुझको सहारा हो तो ऐसा हो, तेरे टुकडृों पे पलते है गुजारा हो तो ऐसा हो। अब्दुल हफीज कौशाम्बी ने पढा- मै तो नादान था दानष्तिा भी क्या क्या न किया, लाज रख ली मेरे सरकार ने रूसवा न किया। इन कलामो पर रात भर अकीदत मंदो ने कव्वाल पार्टियों को दिल खोलकर नजराना दिया। इसके बाद सुबह चार बजकर तेरह मिनट पर सरकार वारिस पाक की कुल षरीफ की विषेश फातेहा हुई। इस फातेहा के बाद विषेश मेहमान एहरामपोश तगइयुर शाह वारसी कानपुर ने दुआ कराई। इसके बाद फजिर की नमाज के बाद दरगाह परिसर में चिरांगा जुलूस उठाया गया। जो सबसे ज्यादा आकर्शण का केन्द्र बना रहा। वारसी एहराम पोश व अकीदतमंद सरों पर चरागों से सजी हुई थाल लेकर कव्वालियों के साथ दरगाह पहुंचे। जहां रस्मे चिरागां अदा की गई।

इसके बाद फिर एकबार तगइयुर शाह वारसी के द्वारा फातेहा पढी गई व दुआये खैर की गइ व श्रद्वालुओं केा प्रसाद वितरण किया गया। शुक्रवार से सोमवार की सुबह तक चले इस उर्स में एहरामपोशों में मलामत षाह कानपुर, बेनजीर शाह लखनऊ, शोहराब शाह खंडेहा, हसीन शाह बांदा, बेनियाज शाह खडेहा, दिलबार शाह ंिबदकी, अजमल शाह उर्फ मुन्ना बाबा के अलावा वारसी अकेडमी के अध्यक्ष अनीस वारसी व उनकी टीम मौजूद रही। कार्यकर्ताओं में हसन वारसी, अनीष वारसी, निजामुददीन वारसी, फैजान वारसी, शाहिद वारसी, राशिद वारसी, सफदर वारसी, शमीम वारसी, अली हसन वारसी सहित सैकडो वारसी कार्यकर्ता उर्स में मौजूद रहे। अंत में दरगाह के मुतवल्ली कसीमुददीन वारसी व उनके पुत्र हसन वारसी के द्वारा आये हुए मेहमानो का शुक्रिया अदा किया गया एवं प्रशासन का आभार व्यक्त किया गया।

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