आदिल अहमद
: क़तर की राष्ट्रीय मानवाधिकार समिति के प्रमुख ने कहा है कि सऊदी अरब अब भी धार्मिक संस्कारों के राजनीतिकरण की नीति अपनाए हुए है और वह हज को एक राजनैतिक हथकंडे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।
अली बिन समीख़ अलमर्री ने यूरोपीय संघ की धार्मिक स्वतंत्रताओं की समिति के प्रमुख जाॅन फ़ीगल से मुलाक़ात के अवसर पर कहा कि सऊदी अरब के राजनैतिक लक्ष्यों के चलते क़तर के नागरिक लगातार तीन साल से हज की यात्रा से वंचित हैं। उन्होंने बताया कि क़तर अपने नागरिकों के अधिकारों की बहाली के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में क़ानूनी कार्यवाही कर रहा है। क़तर की राष्ट्रीय मानवाधिकार समिति के प्रमुख ने बताया कि मानवाधिकार उच्च परिषद और धार्मिक स्वतंत्रताओं के मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष दूत के बयानों और रिपोर्टों से भी सऊदी अरब के रवैये में कोई परिवर्तन नहीं आया है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की चेतावनवियों पर सऊदी अधिकारियों का ध्यान न देना निंदनीय है।
क़तर की राष्ट्रीय मानवाधिकार समिति ने जून में भी संयुक्त राष्ट्र संघ को एक पत्र भेज कर, सऊदी अरब की ओर से क़तरी नागरिकों पर हज के संबंध में लगाई गई सीमितताओं को निरस्त कराए जाने की मांग की थी। इससे पहले 17 जूलाई वर्ष 2018 को मक्के और मदीने के पवित्र स्थलों के संचालन पर नज़र रखने वाले अंतर्राष्ट्रीय दल ने भी संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार परिषद और यूरोपीय संसद की धार्मिक व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की परिषद एवं मानवाधिकार परिषद को अलग अलग पत्र भेज कर हज के राजनीतिकरण और धार्मिक स्वतंत्रताओं को सीमित करने के कारण सऊदी अरब की शिकायत की थी।
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