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सोमवती मौनी आमावस्या में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, देखे दुर्लभ तस्वीरे

तारिक खान

कुम्भ/प्रयागराज/04 फरवरी 2019/ देश विदेश के कोने-कोने से करोड़ों श्रद्धालुओं, संत-महात्माओं, गॉव की झोपड़ियां से लेकर महलों तक के लोगों, विभिन्न वेष-भूषा, बोल-चाल और रंग-ढ़ंग के इस राष्ट्र की भावनात्मक एकता के प्रतीक प्रयागराज के कुम्भ-2019 में मौनी अमावस्या पर आज करोड़ों श्रद्धालुओं, स्नानार्थियों ने विभिन्न घाटों पर स्नान कर कुम्भ की गरिमा को बढ़ाया।

यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रुप में मान्यता प्राप्त, भारत की आध्यात्मिक सांस्कृतिक, सामाजिक एवं वैचारिक विविधताओं को एकता के सूत्र में पिरोने वाला यह कुम्भ भारतीय संस्कृति का द्योतक है। इस कुम्भ में पूरे भारत की संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है। अपने सिर पर आवश्यक वस्तुओं की गठरी रखे एवं बैग लिए अपने वेश-भूषा में देश और प्रदेश के ग्रामीण परिवेश के वृद्ध पुरुष, महिलायें, युवा सभी उम्र के लोगों का हुजूम आज देखने को मिल रहा है।

भारतीय जन-जीवन, आध्यात्मिक चिंतन और विभिन्न भारतीय संस्कृति की सरिता का संगम कुम्भ में दिखाई दे रहा है।

मेला प्रशासन ने बताया कि 03 फरवरी 2019 की मध्य रात्रि से मौनी अमावस्या का स्नान मुहूर्त आरंभ हो गया जो आज रात्रि तक चल रहा है। इस कुम्भ में 40 घाटों पर सायं 5 बजे तक लगभग 5 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर कुम्भ के साक्षी बने।

अभी रात्रि तक स्नान जारी रहने की संभावना है, लोग लगातार स्नान कर रहे हैं। आज के मौनी अमावस्या की यह भी महत्ता है कि यह सोमवार के दिन होने से बड़ा ही पुण्य व कल्याणकारी माना गया है। सोमवारी मौनी अमावस्या दशकों बाद पड़ता है, इसलिए इस पर्व की भारतीय संस्कृति में और भी महत्ता बढ़ गयी है। तीर्थराज प्रयाग का यह कुम्भ स्नान, दान-पुण्य ,ध्यान के लिए कल्याणकारी माना गया है।

आज अखाड़ों के साधु संतो ने भव्य आकर्षक और गाजे बाजों के साथ संगम पर हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ दूसरा शाही स्नान किया। सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी/श्री पंचायती अटल अखाड़ा ने पूर्वान्ह 6ः15 बजे स्नान किये। उसके बाद पंचायती निरंजनी अखाड़ा, तपोनिधि श्री पंचायती आनन्द अखाडा ने पूर्वान्ह 7.05 बजे संगम तट पर पहुंचकर स्नान किया।

उसके बाद पंचदशनाम जूना अखाड़ा/श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा/श्री शम्भू पंच अग्नि अखाड़ा ने पूर्वान्ह 8 बजे संगम घाट पर स्नान किया। उसके बाद अखिल भारतीय श्री पंचनिर्वाणी अनी अखाड़ा ने पूर्वान्ह 10.40 बजे, अखिल भारतीय श्री पंच दिगम्बर अनी अखाड़ा ने पूर्वान्ह 11.20 बजे, अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा ने अपरान्ह 12.20 बजे, श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन ने अपरान्ह 1.15 बजे, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन ने अपरान्ह 2.20 बजे तथा श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल ने अपरान्ह 3.40 बजे संगम घाट पर पहुॅचकर स्नान किया।

पतितपावनी गंगा-यमुना व अदृश्य सरस्वती के संगम पर लोगों ने शुभ-मुहूर्त के शुभारम्भ से ही डुबकी लगानी शुरु कर दी। हल्के कोहरे तथा ठण्ड पर भी लोगों की आस्था का सैलाब भारी रहा। संगम क्षेत्र के चतुर्दिक क्षेत्रों में रात्रि से ही आस्था और श्रद्धा का जनसैलाब उमड़ने लगा।

इस सोमवती मौनी आमावस्या पर हर श्रद्धालु में जबरदस्त जोश व उत्साह देखने को मिला। स्नान के बाद श्रद्धालुओं/स्नानार्थियों के दान-पुण्य का कार्यक्रम जारी रहा। इस आस्था के जनसैलाब को दृष्टिगत रखते हुए मेला प्रशासन ने बड़ी ही चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था बनाये रखी। श्रृंग्वेरपुर से लेकर किला घाट तक गंगा, यमुना और संगम तट के दोनों तरफ 8 किमी. बनाये गये 40 सुगम घाटों पर खुले क्षेत्रों में लोगों ने चतुर्दिक स्नान किया।

सुव्यवस्थित वेंडिंग जोन तथा सुगम यातायात व्यवस्था के प्रभाव से स्नानार्थियों का अवागमन व्यवस्थित एवं सुगम रही, कहीं भी जाम की स्थिति उत्पन्न नहीं होने पायी। कम से कम पैदल दूरी पर चलकर श्रद्धालुओं ने स्नान किया। मेले में किसी भी क्षेत्र से किसी अप्रिय घटना की जानकारी नहीं मिली। मेला प्रशासन पूरी तैयारी के साथ चप्पे-चप्पे पर नज़र रखते हुए श्रद्धालुओं को विनम्रता के साथ मार्गदर्शन करते हुए सुरक्षित गन्तव्य तक भिजवाया जा रहा है।

मेला क्षेत्र से लेकर प्रयागराज नगर के विभिन्न सड़कों पर भी कंधे पर बैग, हाथों में बच्चों व एक दूसरे का हाथ थामे लोग गंगा मईया का जयकारा लगाते हुए संगम तट की ओर पैदल ही डग भरते रहे। स्नान करने के बाद स्नानार्थियों की भीड़ अपने गन्तव्य की ओर जा रही है। बस स्टेशनों और रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा सहित उन्हें निर्धारित बसो/ट्रेनों पर बैठाने की सुव्यवस्थित व्यवस्था पुलिस/रेलवे बल द्वारा की जा रही है। मौनी अमावस्या पर निरन्तर हेलिकॉप्टर द्वारा स्नानार्थियों/श्रद्धालुओं, संत महात्माओं के शाही जुलूस पर बार-बार पुष्प वर्षा की गयी। साथ ही उक्त हेलीकॉप्टर से मेले की निगरानी भी की जा रही है।

मेले में आये स्नानार्थियों/श्रद्धालुओं के अपने परिवार से बिछड़ने पर पुलिस द्वारा अपरान्ह 4 बजे तक 5200 खोये हुए लोगों को डिजिटल खोया-पाया केन्द्रों से उनके परिजनों से खोया-पाया केन्द्रों के माध्यम से मिलवाया गया। इसके अतिरिक्त विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं के द्वारा भी खोया-पाया की सेवा तत्परता से की जा रही है। सबसे खास बात यह रही है कि इतने बडे़ जनसमुद्र ने जिस उल्लास और उत्साह के साथ इस पर्व को सम्पन्न किया है, उसमें सायं काल तक किसी भी प्रकार की अप्रिय या दुर्घटना का समाचार नहीं मिला है।

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