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किशोर-किशोरियों को नीली और गुलाबी गोली खिलाये जाने हेतु दिये निर्देश

संजय ठाकुर

मऊ- मुख्य चिकित्सा अधिकारी के सभागार में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यकम के अन्तर्गत किशोर-किशोरियों को दी जाने वाली साप्ताहिक आयरन फोलिक सम्पूरक पर जनपद स्तरीय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। इसमें प्रत्येक ब्लाक स्तर से राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम (आरबीएसके) चिकित्सक, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक कम्युनिटी प्रोसेस मेनेजर (बीसीपीएम), खण्ड शिक्षा अधिकारी, खण्ड बाल विकास परियोजना अधिकारी ने प्रतिभाग किया|प्रशिक्षण के उपरान्त सभी ब्लाक में सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सभी विद्यालयों के नोडल अध्यापकों को प्रतिभागीयों द्वारा प्रशिक्षित किया जायेगा।

स्वास्थ्य और परि‍वार कल्याण मंत्रालय द्वारा साप्ताहिक आयरन फोलि‍क एसि‍ड पूर्ति‍ कार्यक्रम शुरू कि‍या गया है ताकि‍ कि‍शोरों में खून की कमी को रोका जा सके और इस पर नि‍यंत्रण पाया जा सके | भारत के कुल आबादी में से 22 प्रति‍शत कि‍शोर हैं लेकि‍न कि‍शोरों की आधी आबादी में खून की कमी है इनमें लड़के-लड़कि‍यां दोनों हैं| खून की कमी से शरीर का पूरा वि‍कास नहीं होता| स्कू लों में कि‍शोरों का प्रदर्शन अच्छा नहीं होता और दैनि‍क काम-काज में एकाग्रता कम रहती है| इससे कार्य-क्षमता और बच्चों के वि‍कास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है|

एसीएमओ एवं आरबीएसके के नोडल अधिकारी डॉ. एम. लाल ने बताया कि प्रशिक्षण में आयरन फोलिक सम्पूरक के खाने, उससे होने वाले लाभ एवं इसकी मासिक सूचना के प्रबन्धन इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया गया, साथ ही आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध करायी गयी| आयरन की गोली पूर्व में ही सभी ब्लॉकों पर प्रचूर मात्रा में भेजी जा चुकी है। 10वर्ष से 19 वर्ष तक के सभी किशोर-किशोरियों को विद्यालय में तथा स्कूल न जाने वाले को आंगनबाड़ी केन्द्र पर आयरन की नीली गोली तथा 6 वर्ष से 10वर्ष तक के सभी किशोर-किशोरियों को विद्यालय में तथा स्कूल न जाने वाले को आंगनबाड़ी केन्द्र पर आयरन की गुलाबी गोली प्रत्येक सोमवार को अनिवार्य रूप से खिलाने हेतु आवश्यक निर्देश दिये गये।

प्रशिक्षण की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीश चन्द्र सिंह द्वारा की गयी| इस अवसर पर प्रशिक्षण राज्य स्तर से प्रशिक्षित डी.ई.आई.सी. मैनेजर अरविन्द कुमार वर्मा ने भी सभी को प्रशिक्षित किया| साथ ही मण्डल स्तर से यूनिसेफ पवन मिश्रा ने भी आवश्यक निर्देश दिये। सफलतापूर्वक प्रशिक्षणोपरान्त सभी प्रतिभागीयों को प्रमाण-पत्र भी दिया गया।

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